स्वार्थ से बिगड़ता राजनीति का हुलिया

By: Oct 14th, 2017 12:02 am

शिवालिक अवस्थी

लेखक, धर्मशाला से हैं

राजनीति की आज जो दुर्दशा हमें देखने को मिलती है, उसके लिए हम भी नेताओं से कम कसूरवार नहीं हैं। जो जनता राजनेताओं को तमाम अधिकार सौंपकर उनसे सदाचार की अपेक्षा रखती है, वह खुद ही राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर राजनीतिक छल-कपट में संलिप्त हो जाती है…

जिस नीति के द्वारा व्यक्ति विशेष को उन अधिकारों की प्राप्ति होती है, जिनका सदुपयोग करके व्यक्ति जन सेवा के बेहतरीन कार्य को बिना किसी रुकावट के कर सके, उसी कल्याणकारी स्वरूप को राजनीति कहा जाता है। राजनीतिक दृष्टिकोण की सही पहचान करके उसकी हर कसौटी पर खरा उतरना ही संभवतः सही राजनीतिज्ञ की परिभाषा को दर्शाता है। उन तमाम अधिकारों के अंतर्गत बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग के लिए उत्कृष्ट कार्य करना भी राजनीति का एक अहम पहलू है। समाज और देश को विकास पथ पर आगे ले जाने वाले रथ में बैठकर राजनीतिज्ञों की भूमिका एक सारथी के रूप में मानी जाती है, जिसकी लगाम जनता ने अपने हाथों के बजाय उनके हाथों में सौंप दी होती है। इसलिए राजनीतिज्ञों को राजनीति की सभी कसौटियों पर खरा उतरने के लिए जनता के सहयोग, विश्वास और प्यार की बेहद जरूरत होती है। यह हर राजनीतिज्ञ का फर्ज बनता है कि जनता का ख्याल उनकी सूची में हमेशा शीर्ष पर रहे। हालांकि राजनीति की मूल भावना और वर्तमान स्वरूप में काफी अंतर आ चुका है।

आज कई राजनीतिज्ञों ने राजनीति की परिभाषा का मूल स्वरूप ही बदल कर रख दिया है। इस नई परिभाषा के अंतर्गत वे बोल और व्याकरण का निर्धारण अपनी सहूलियत के हिसाब से कर रहे हैं। राजनीति की आज जो दुर्दशा देखने को मिल रही है, उसके लिए हम भी नेताओं से कम कसूरवार नहीं हैं। जो जनता राजनेताओं को तमाम अधिकार सौंपकर उनसे सदाचार की अपेक्षा रखती है, वह खुद ही राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर छल-कपट में संलिप्त हो जाती है। लिहाजा राजनीति में कदाचार और अस्थिरता का साया बढ़ता ही चला जा रहा है। राजनीतिज्ञों की सूची में अपना और अपनों का ख्याल शीर्ष स्थान पर और जनता का स्थान सूची के निचले स्तर पर चला जाता है। सूची में बदली प्राथमिकताओं के इसी फेरबदल ने राजनीति को अस्थिरता के साए में लाकर खड़ा कर दिया है। आगे भी अगर यही दस्तूर जारी रहा, तो देश-समाज में राजनीति के प्रति अविश्वास की भावना गहराती जाएगी, जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकती है।

हालांकि ऐसे कई राजनीतिज्ञ आज भी हमें जरूर मिलेंगे, जिनकी राजनीतिक परिभाषा, प्राथमिकताओं की सूची और सियासी सिद्धांत व आदर्श बदले नहीं। उनकी सूची में आज भी समाज और देश सेवा की भावना शीर्ष पर है। कहना न होगा कि उन्हीं राजनीतिज्ञों के कारण हमारे समाज और देश का विकास रथ सही दिशा में बढ़ पा रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों में ही इनकी मौजूदगी आज भी है। दुर्भाग्य से ऐसे नेताओं की संख्या इतनी सी बची है कि इन्हें अंगुलियों पर गिना जा सकता है। इस जमात का सिमटता दायरा लोकतंत्र के लिए और भी खतरनाक है। अगर इस वर्ग को विलुप्त होने से बचाना है, तो जनता को विवेक से काम लेना होगा। चुनावी पर्व के बहाने आम जनता के पास एक अवसर आता है, जिसमें उचित भागीदारी के जरिए वह सही नेतृत्व को चुनकर लोकतंत्र को मजबूत बना सकती है। आगामी विधानसभा के लिए चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के साथ हिमाचली जनता को ऐसा एक और अवसर मिल रहा है। ऐसे में हिमाचली जनता को अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए कपटी, भ्रष्ट और संवेदनहीन नेताओं को सत्ता से दूर रखकर शासकीय स्वच्छता का प्रयास करना चाहिए। इन विधानसभा चुनावों में हमें उन्हीं प्रतिनिधियों का चुनाव करना चाहिए, जो विकास रथ को तेज गति प्रदान कर सकें, न कि व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति में ही मशगूल रहें। आजकल सहज ही देखा जा सकता है कि कई नेता हमारे समाज के लिए बिलकुल भी सही नहीं हैं।

और तो और राजनीतिज्ञों के साथ कई लोग भी अपना मतलब सीधा करने में पीछे नहीं रहते। उन लोगों को राजनीतिज्ञों से सिर्फ अपने काम निकलवाने होते हैं, फिर चाहे उसके लिए उन्हें कितना नीचे भी क्यों न गिरना पड़े। वे इसमें कतई हिचकिचाते नहीं। कुछ व्यक्ति राजनीति को बदले की भावना से भी देखते हैं, जो उनकी ओछी सोच को दर्शाता है। उनके लिए राजनीति तो एक खेल की तरह हो चुकी है। यही कुछ कारण हैं, जिनसे आज राजनीति का असली स्वरूप ही बदल चुका है। इन गतिविधियों के मद्देनजर राजनीति में स्थिरता का होना बेहद जरूरी है। यहां स्थिरता से मतलब सही राजनीतिक उद्देश्यों की अनुपालना करना है, जिसमें समाज और देश का विकास नेताओं की प्राथमिकता में रहे। जो राजनीतिज्ञ राजनीति की स्थिरता को भलीभांति समझते हों, उन राजनीतिज्ञों का जनता भी उतनी ही जिम्मेदारी से साथ निभाए। जनता अपने व्यक्तिगत स्वार्थ न देख कर, समाज के प्रति उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों का मूल्यांकन करे, फिर चाहे वह राजनीतिज्ञ किसी भी दल का ही क्यों न हो। हमें सिर्फ एक अच्छे राजनीतिज्ञ को राजनीति में जगह देनी है, न कि अपने स्वार्थों के लिए किसी स्वार्थी राजनीतिज्ञ को।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App