हिमाचल की विभूतियां

By: Oct 11th, 2017 12:05 am

अनंत राम ने नशाबंदी के खिलाफ छेड़ा अभियान

अनंत राम ने नशाबंदी के लिए एक अविराम संघर्ष छेड़ा, जिस पर उन्हें बंदी बना लिया गया। परंतु उन्होंने महात्मा गांधी व उनके अन्य देशभक्त सहयोगी बाबा कांशी राम, भीम सैन सच्चर, महाशय तीर्थ राम खुशी और पराशर वरश्याम सिंह, गोपी भगवंत आदि के आशीर्वाद से अपने संघर्ष को जारी रखा…

 आनंद चंद

आनंद चंद राजा विजय चंद के पुत्र थे। 26 जनवरी, 1913 ईस्वी को भूतपूर्व बिलासपुर रियासत में इनका जन्म हुआ। इनके दो बेटे और दो बेटियां थीं। 1933 से 1948 तक भूतपूर्व बिलासपुर रियासत के शासक रहे। सी श्रेणी के राज्य बिलासपुर से 1952 ईस्वी में पहली लोकसभा के सदस्य बने। 1958 से 1964 ईस्वी तक हिमाचल से राज्यसभा के सदस्य तथा 1964 से 1970 ईस्वी तक बिहार से राज्यसभा के सदस्य भी रहे। 1954 ई. में बिलासपुर का हिमाचल प्रदेश में विलय होने के बाद  हिमाचल विधानसभा के सदस्य चुने गए। लोकसभा का सदस्य बने रहने के लिए विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया। 1977 ईस्वी में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वापसी की। उन्होंने ‘बिलासपुर पास्ट, प्रजेंट और फ्यूचर’ नाम से एक पुस्तक लिखी। 12 अक्तूबर, 1983 को इनका निधन हो गया।

अनंत राम

10 अप्रैल, 1907 ईस्वी को दौलतपुर चौक जिला ऊना में पैदा हुए। उनके पिता किरपा राम थे। वह एक महान देशभक्त व स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने नशाबंदी के लिए एक अविराम संघर्ष छेड़ा, जिस पर उन्हें बंदी बना लिया गया। परंतु उन्होंने महात्मा गांधी व उनके अन्य देशभक्त सहयोगी बाबा कांशी राम, भीम सैन सच्चर, महाशय तीर्थ राम खुशी और पराशर वरश्याम सिंह, गोपी भगवंत आदि के आशीर्वाद से अपने संघर्ष को जारी रखा। 1975 ई में  त्त्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा उनको ताम्र पत्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने ‘काका शिक्षा न्यास’ की स्थापना की। 11 जनवरी, 2010 ईस्वी को लंबी बीमारी के बाद 113 बर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।

अनूप सिंह

अनूप सिंह स्वर्गीय टोडर सिंह के बेटे थे। इनका जन्म 1917 ईस्वी में मंडी जिला की जोगिद्रंनगर तहसील के अंतर्गत गांव सियूं डाकघर लडभड़ोल में हुआ। परिवार में पत्नी के अलावा इनके दो बेटे थे। अनूप सिंह एक कृषक और सामाजिक कार्यकर्ता रहे। जब लाहौर में थे तो स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और बाद में मंडी में भी उन्होंने इस कार्य को जारी रखा। वह चौंतड़ा और जोगिद्रंनगर मंडली के अध्यक्ष रहे। 1961 ईस्वी में चौंतड़ा से राम नाथ की मृत्यु पर क्षेत्रीय परिषद के लिए उपचुनावों में जीते। 1962 ईस्वी में पुनः निर्वाचित हुए। 25 मार्च, 1972 ई में इनकी मृत्यु हो गई।


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