हिमाचल के हिस्से एक और शहादत

By: Oct 18th, 2017 12:02 am

प्रताप सिंह पटियाल

लेखक, भूतपूर्व सैनिक हैं

मुद्दा यह है कि हमारे जवान बेवजह शहीद हो रहे हैं। सीमा से कब तक हम भारतीय सैनिकों की लाशें ढोते रहेंगे। कब तक हमारे नेता संसद में भाषणों तक सीमित रहेंगे। एक मुट्ठी भर देश ने कई दशकों से भारत को परेशान कर रखा है और हम कुछ नहीं कर पा रहे…

हिमाचल के सैनिकों का देश के लिए शहादतों का आंकड़ा देश के दूसरे राज्यों से कहीं ज्यादा है। सीमाओं को सींचता 40 प्रतिशत खून हिमाचली है। देवभूमि के ये वीर देश को जननी से भी ज्यादा सम्मान देते हैं और इसकी तरफ उठने वाली आंख को फोड़ देते हैं। हिमाचल के हिस्से में कुर्बानियां ज्यादा हैं, तो तमगे भी कम नहीं हैं। हिमाचल का इतिहास रहा है कि इसमें हर दूसरे घर में एक सैनिक मिलेगा। प्रदेश में लगभग सवा लाख तो पूर्व सैनिक ही हैं। सरहदों की हिफाजत में लगा हिमाचल का सैनिक अपने प्रदेश का बाद में सोचता है, पहले देश का सोचता है। क्योंकि देश होगा, तो प्रदेश होगा। शहादतों का यह सिलसिला आज भी जारी है। पर यह शहादत केंद्र की नाकामी के कारण भी है। केंद्र का पाकिस्तान के प्रति नरम रुख आंतकियों को उकसाने के लिए काफी है। बात यह नहीं है कि जवान देश के लिए कुर्बान हो रहे हैं, दरअसल मुद्दा यह है कि बेवजह शहीद हो रहे हैं। सीमा से कब तक हम भारतीय सैनिकों की लाशें ढोते रहेंगे। कब तक हमारे नेता संसद में भाषणों तक सीमित रहेंगे। एक मुट्ठी भर देश ने कई दशकों से भारत को परेशान कर रखा है और हम कुछ नहीं कर पा रहे। देवभूमि हिमाचल के नाम एक और शहादत दर्ज हुई है। रविवार देर शाम मध्य कश्मीर के बड़गाम में जब शहीद राज कुमार रात्रि गश्त के बाद ड्यूटी से लौट रहे थे, तभी आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया। शहीद राज कुमार अपने पीछे माता केलो देवी, पिता ध्यान चंद, पत्नी और दो बेटों सहित पांच सदस्यों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘एम्स’ के शिलान्यास के लिए बिलासपुर में आए थे। प्रधानमंत्री जैसे ही मंच पर आए, तो उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत इन शब्दों से की कि यह बिलासपुर वीरों की धरती है, इस देवभूमि ने सेना को बहुत रणबांकुरे दिए हैं। प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक का भी जिक्र किया, जो कि विश्व की सबसे सफल सर्जिकल स्ट्राइक मानी गई है। इस स्ट्राइक में भी हिमाचली सैनिकों का योगदान रहा है। इस प्रकार प्रधानमंत्री जी ने सैनिकों के प्रति अपने सम्मान को जाहिर किया। यदि इस वीरभूमि के सैनिकों की वीरता की मात की जाए, तो सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र जो आज तक कुल 21 भारतीय सैनिकों के नाम हैं, उनमें से चार हिमाचली सूरमाओं के नाम हैं। पहले परमवीर चक्र विजेता, मेजर सोमनाथ शर्मा भी हिमाचली थे और कारगिल युद्ध में चार में से दो परमवीर चक्र भी हिमाचलियों के नाम हैं। मेजर सोमनाथ शर्मा, जिनका संबंध जिला कांगड़ा से था, उन्होंने अपनी शहादत तीन नवंबर, 1947 को कश्मीर को पाकिस्तानी हमले से बचाने के लिए दी थी। कुर्बानियों का यह दिलेरी भरा सिलसिला आज भी जारी है। गत आठ अक्तूबर, 2017 को भारतीय सेना के एक बहादुर सैनिक सूबेदार राज कुमार की शहादत इसी क्रम की एक कड़ी मानी जाएगी। आज भारतीय सेना विश्व की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना मानी जाती है। वही राष्ट्र शक्तिशाली माना जाता है, जिसकी सेना शक्तिशाली हो।

युद्धों की इतिहास पर यदि नजर डालें, तो इस वीरभूमि के सैनिकों ने 1948 कश्मीर आपरेशन, 1962 चीन युद्ध, 1965, 1971 में पाक युद्ध और 1999 में कारगिल युद्ध से लेकर पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारने वाला जोखिम भरा काम सर्जिकल स्ट्राइक तक करके हर जगह कुर्बानियां दी हैं। भारतीय सेना में अपनी सेवाओं के दौरान हिमाचली सूरमाओं ने खेलों में भी भारत का ओलंपिक तक प्रतिनिधित्व किया है, जिनमें से एक नाम पूर्व ओलंपियन ‘जिम्मास्टर’ कैप्टन अनंत राम साहब का है, जिनका संबंध बिलासपुर जिला से है। मगर एक ओलंपियन का सम्मान उन्हें अब तक नहीं मिला है। वीरता में हिमाचली सैनिकों का प्रतिशत बाकी राज्यों से कहीं अधिक है। जिस प्रदेश के जवानों के खून में देश की रक्षा के प्रति ऐसा जज्बा हो, तो उस प्रदेश की सरकार को केंद्र सरकार जो हिमाचली नौजवानों के लिए भर्ती कोटा बढ़ाने की मांग करती है, उस पर अब न केवल केंद्र को विचार करना चाहिए, बल्कि अब उसे मूर्त रूप देने का वक्त आ गया है। हिमाचल के नाम पर रेजिमेंट की जो आवाज कई बार उठती है, उसे पुनः जागृत करना होगा। हिमाचल की कुर्बानियां देखकर भी केंद्र का मूड नहीं बनता कि सेना भर्ती कोटे में हिमाचल को कुछ रियायत दे। देश उन सैनिकों को ऋणी है, जिन्होंने देश की आजादी को बरकरार रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके कारण ही हम खुली फिजाओं में सांस ले रहे हैं। सेना के मनोबल को हमेशा बढ़ाना होगा। देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत देने वाले वीर सैनिकों को हमारा नमन!


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