14 विभूतियों को ऑथर्ज गिल्ड अवार्ड

By: Oct 23rd, 2017 12:01 am

कुल्लू में कार्यक्रम, विद्वानों ने ऋग्वेद पर भी रखे विचार

कुल्लू – ऑथर्ज गिल्ड ऑफ हिमाचल का 13वां राज्य स्तरीय सम्मेलन देवसदन कुल्लू में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में जहां प्रदेश भर के विद्वान ऋग्वेद के शोध के लिए पहुंचे, वहीं सम्मेलन में प्रदेश भर की 14 विभूतियों को उनके क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया।  इसमें डा. आर वासुदेव प्रशांत धर्मशाला, डा. बीबी सांख्यान बिलासपुर, डा. बीजे पुरी पालमपुर, डा. माधुरी सूद ज्वालामुखी, डा. कुशल कटोच धर्मशाला, कर्नल जसवंत सिंह कलोल बिलासपुर, सुरेश भारद्वाज धर्मशाला, इंदु पटियाल लोक संस्कृति की व्याख्याकार बंजार, रोशन लाल शर्मा प्रधान लेखक मंच बिलासपुर, कुल्लू के एक पत्रकार, गोपाल शर्मा कांगड़ा, अर्जुन कनौजिया पालमपुर, नेसू राम आनंद छन्नीखोड़ मरणोपरांत, किशन श्रीमान हिमतरू पत्रिका कुल्लू को ऑथर्ज गिल्ड ऑफ हिमाचल प्रदेश सम्मान से नवाजा गया। इस अवसर पर दो सत्रों में कार्यक्रम हुआ। पहले सत्र में जहां विभूतियों को सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया, वहीं ऋग्वेद पर विस्तृत चर्चा हुई। इस दौश्रान प्रदेशभर के विद्वानों ने ऋग्वेद पर अपने शोध पत्र पढ़े और पाया कि संसार की इस पहली पुस्तक का अधिकतर निर्माण कुल्लू-मनाली की ही वादियों में हुआ है। विद्वानों के अनुसार ऋषि व्यासदेव ने भोजपत्र के पत्तों पर मनाली की ही वादियों में ऋग्वेद का निर्माण किया था। यह खुलासा प्रसिद्ध विद्वान एवं लेखक जयदेव विद्रोही ने जहां पहले ही किया था, वहीं रविवार को भी अधिकतर विद्वानों ने इस पर मुहर लगा दी। अब हिमाचली विद्वानों ने देशभर के विद्वानों के लिए शोध का विषय खड़ा कर दिया है। जयदेव विद्रोही के अनुसार जर्मन विद्वान मैक्स मूलर ने 300 साल पहले संकेत दिए थे कि ऋग्वेद की रचना पंजाब के पहाड़ी क्षेत्र में हुई है। उस समय पंजाब का पहाड़ी क्षेत्र कुल्लू-मनाली ही था। यह भी खुलासा किया था कि ऋग्वेद में सबसे ज्यादा रचनाएं व सूक्तियां वशिष्ट ऋषि पर हैं और वशिष्ट ऋषि का तपोस्थल एवं घर मनाली ही रहा है।


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