अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला

By: Nov 4th, 2017 12:08 am

अजमेर से लगभग 11 किमी. दूर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है। यह मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा के दिन महास्नान के साथ संपन्न होता है। मेले का रंग राजस्थान में देखते ही बनता है। पुष्कर मेला थार मरुस्थल का एक लोकप्रिय व रंगों से भरा मेला है। पुष्कर झील भारतवर्ष के पवित्रतम स्थानों में से एक है…

राजस्थान में त्योहारों, पर्वो एवं मेलों की अनूठी परंपरा एवं संस्कृति है। यहां का प्रत्येक मेला जीवन की किसी किंवदंति या किसी ऐतिहासिक कथानक से जुड़ा है। इन मेलों से यहां की लोक संस्कृति जीवंत हो उठती है। अजमेर से लगभग 11 किमी. दूर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है। यह मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा के दिन महास्नान के साथ संपन्न होता है। मेले का रंग राजस्थान में देखते ही बनता है। पुष्कर मेला थार मरुस्थल का एक लोकप्रिय व रंगों से भरा मेला है। पुष्कर झील भारतवर्ष के पवित्रतम स्थानों में से एक है। प्राचीन काल से लोग यहां प्रतिवर्ष कार्तिक मास में एकत्रित होकर भगवान ब्रह्मा की पूजा उपासना करते हैं। मान्यता है कि सृष्टि के रचियता जगत गुरु ब्रह्मा जी द्वारा किए गए यज्ञ के दौरान हाथ से कमल पुष्प छूटने से यहीं पर पवित्र पुष्कर सरोवर का उद्धव हुआ। इन दिनों यहां 33 करोड़ देवी-देवताओं के साथ स्वयं ब्रह्मा जी का वास रहता है और स्नान व ध्यान से अक्षत फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में स्नान का हिंदू मान्यताओं में महत्त्व वैसे भी काफी ज्यादा है। इसलिए यहां साधु भी बड़ी संख्या में नजर आते हैं। पुष्कर मेले के दौरान इस नगरी में आस्था और उल्लास का अनोखा संगम देखा जाता है। चारों धामों की यात्रा करके भी यदि कोई व्यक्ति पुष्कर सरोवर में डुबकी नहीं लगाता है, तो उसके सारे पुण्य निष्फल हो जाते हैं। तीर्थ राज पुष्कर को पृथ्वी का तीसरा नेत्र माना जाता है। यहां एकमात्र ब्रह्मा मंदिर है, तो दूसरी ओर  दक्षिण स्थापत्य शैली पर आधारित रामानुज संप्रदाय का  बैकुंठ मंदिर। इसके अलावा सावित्री मंदिर, वराह मंदिर और अन्य कई मंदिर हैं। पास के ही एक मंदिर में  हाथी पर बैठे नारद तथा कुबेर की  मूर्तियां हैं। पुष्कर को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है।


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