अजीब आशंका, गजब का विश्वास

By: Nov 10th, 2017 12:15 am

चुनाव के पग नहीं होते, फिर भी आस्थिर चिंताओं के बीच मतदान की सक्रियता में मुद्दे टटोलते, ‘दिव्य हिमाचल’ टीम ने लोकतंत्र के रंगों को छूने की कोशिश की। धर्मशाला, नगरोटा और कांगड़ा विधानसभाओं में चुनाव अलग-अलग आवाज सुनता देखा गया। धर्मशाला में विकास के बीच आंसुओं की दास्तान में लिपटी भाजपा और समुदाय विशेष की राजनीति में यथार्थ के खो जाने का भय। नगरोटा बगवां के विकास पथ पर तर्क करते युवा, तो सामने हिमाचल का सबसे कद्दावर नेता। कांगड़ा के तराजू में परिवर्तन का वजन इस बार भी स्वतंत्र उम्मीदवार को तोल रहा है। अजीब आशंकाओं और प्रबल विश्वास के बीच चुनाव की अपनी घुटन का समाधान करते कुछ युवाओं और महिलाओं ने मतदान प्रतिशतता बढ़ाकर जरूर यह रेखांकित किया कि उनके जलवे पर इतराया नहीं जा सकता…

 जीवन ऋषि

नौ नवंबर का दिन हिमाचल प्रदेश के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था। इसी दिन समूचे प्रदेश में मताधिकार का प्रयोग कर अगले पांच वर्ष के लिए हिमाचल की दिशा तय करने वाले राजनेताओं के पक्ष में ईवीएम का बटन दबाया। यह सर्वविदित है कि इस मर्तबा हिमाचल विधानसभा चुनाव से पूर्व अभूतपूर्व कौतूहल बना रहा। सियासी दलों ने बेशक समर्थन पाने को एड़ी-चोट का जोर लगाया, पर प्रबुद्ध हिमाचली मतदाता ने मानों अपने होंठ सिल लिए थे कि हवा का रुख किसी को हरगिज पता नहीं चलने देंगे। हिमाचली जनमानस की इसी चुप्पी का मकसद समझने के इरादे से ‘दिव्य हिमाचल मीडिया ग्रुप’ की टीम ने मुख्यालय के समीपवर्ती विधानसभा क्षेत्रों का मुआयना करने का फैसला लिया। शुरुआत धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के प्रवेश द्वार चैतड़ू से हुई, जहां कांग्रेस के सुधीर शर्मा व भाजपा के किशन कपूर निर्दलीयों की चुनौती के बीच मैदान मारने के लिए आमने-सामने डटे थे। चैतड़ू बाजार कांग्रेस के झंडों बैनरों से पटा था, जबकि भाजपा की प्रचार सामग्री लगभग गायब दिखी। खाली सड़क किनारे वोट देने वालों की टोलियां मतदान केंद्र की ओर बढ़ रही थीं, जिनमें से कुछ ने टीम की ओर दूर से हाथ हिलाया। लोअर सकोह में सन्नाटा पसरा था, जबकि अपर सकोह के मतदान केंद्र के बाहर फिर वही, कांग्रेस के झंडे और कार्यकर्ता यहां-वहां नजर आ रहे थे। धर्मशाला शहर में रोज जैसी रौनक सुबह दस बजे भी नहीं थी, लेकिन कांग्रेस के झंडे और उत्साही कार्यकर्ता यहां भी मौजदूगी दर्ज करवाते नजर आए। यह आलम कोतवाली बाजार तक कमोवेश एक जैसा दिखा। हालात तब बदलते ंदिखे जब कोतवाली बाजार से खनियारा का सफर शुरू हुआ। यहां भाजपा की प्रचार सामग्री ज्यादा नजर आई। मतदान केंद्रों के बाहर भाजपा के सहायता बूथों पर भी रौनक कांग्रेस से अधिक थी। यह सिलसिला खनियारा तक जारी रहा। खनियारा के पास सड़क किनारे रखे गए नए-नवेले लोहे के बैंचों पर भी भाजपा की टोपियां पहने कुछ ग्रामीण बतियाए नजर आए। खनियारा की सीमा से निकलकर टीम जब रक्कड़ में दाखिल हुई तो प्रचार और कार्यकर्ताओं का उत्साह कांग्रेस की ओर स्पष्ट झुकाव दिख रहा था। योल की सड़कों और मतदान केंद्रों पर भीड़ थी, जिनमें महिलाओं की तादाद ज्यादा थी। यहां भी कांग्रेस का प्रभाव कुछ अधिक दिखा। सबसे बड़ी बात यह कि आजाद प्रत्याशी रविंद्र राणा के समर्थकों द्वारा लगाए गए बूथ पर गहमागहमी  का आलम था। स्पष्ट नजर आ रहा था कि कांग्रेस और भाजपा को इन क्षेत्रों में कुल मिलाकर लगभग बराबर समर्थन हासिल था। यानी जीत-हार का सारा दारोमदार धौलाधार की तलहटी में कांगड़ा की ओर पसरी ग्रामीण आबादी पर टिका था। इसके बाद बारी थी नगरोटा विधानसभा क्षेत्र के मुआयने की, जहां कांग्रेस प्रत्याशी जीएस बाली भाजपा उम्मीदवार अरुण मेहरा की चुनौती से रू-ब-रू थे। पठियार में दाखिल होते ही टीम ने पाया कि सड़कों के दोनों किनारे कांग्रेस की प्रचार सामग्री और समर्थकों का बोलबाला था। मलां से लेकर हटवास तक चारों ओर सन्नाटे का आलम दिखा। बड़ी बात यह कि हमेशा व्यस्त रहने वाला हाई-वे भी लगभग वाहन विहीन था। नगरोटा नगर में प्रचार सामग्री की जंग ज्यादा नजर नहीं आई। बाजार में भीड़ कम थी।

सड़क किनारे गप्पें हांकती जा रही नौजवानों की एक टोली से जब पूछा कि नगरोटा किधर जा रहा है तो जवाब मिला, विकास की ओर। इसके बाद विधानसभा हलके के चर्चित क्षेत्र मस्सल का जायजा लेने का फैसला हुआ। मस्सल स्कूल में बनाए गए मतदान केंद्र में मेले जैसा माहौल था। स्कूल कैंपस के बाहर बड़े-बुजुर्ग धूप सेंकते हुए चर्चा में व्यस्त थे तो भीतर मतदान केंद्र के दरवाजे पर लंबी कतार। विस्तृत मैदान में यहां-वहां खड़े होकर लोग विचार-विमर्श कर रहे थे, जिनमें युवाओं की तादाद अधिक थी। अर्द्धसैनिक बल के तीन जवान मुस्तैदी से ड्यूटी बजा रहे थे और महिलाएं भी चुहलबाजी में व्यस्त थीं। यहां जब टीम ने लोगों का मन टटोलना चाहा तो लोग खुलकर बात करने लगे। यहां खुले इंजीनियरिंग कालेज को लोग तरक्की का प्रतीक तो मान रहे थे, पर युवा समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें क्लास-फोर की नौकरियों क्यों नहीं दी गईं। हालांकि पानी के तीन ओवरहैड टैंक और गांव में किराए पर चढ़े कमरे जरूर सुकून की वजह बताए गए। इसी दौरान एसडीएम नगरोटा भी मतदान केंद्र का जायजा लेने भीतर की ओर बढ़ गए। टीम अगली मंजिल की ओर निकलने को थी, कि सुर्ख दोशाला ओढ़े भाजपा प्रत्याशी अरुण मेहरा भी मस्सल आ पहुंचे। ‘दिव्य हिमाचल’ की टीम को मौके पर पाकर वह तुरंत बातचीत करने लगे। उत्साहित अरुण का मानना था कि उनकी जीत का ऐलान नगरोटा का हर चेहरा खुलेआम कर रहा है। समर्थकों में कूका के नाम से लोकप्रिय अरुण मेहरा का कहना था कि हलके के लोगों को मुख्यमंत्री बनाने का नारा देकर अब और नहीं छला जा सकता। मस्सल से टीम नगरोटा के चंगर क्षेत्र की ओर बढ़ी। बड़ोह की ओर जाने वाली संकरी सड़क किनारे बसी छोटी-छोटी बस्तियों में मतदान केंद्रों पर वोटरों की कतारें दूर से दिख रही थीं। यहां प्रचार सामग्री और सहायता केंद्रों पर भीड़ के मामले में कांग्रेस इक्कीस नजर का रही थी। दोपहर बाद दो बजे के करीब बड़ोह मतदान केंद्र में 60 प्रतिशत वोट डाले जा चुके थे। केंद्र लगभग सुनसान था, लेकिन सभी विभागीय कर्मचारी व अधिकारी मुस्तैदी से मौजूद थे। मतदान केंद्र के ठीक बाहर सड़क के उस पार कुछ नौजवान बाहर आती ‘दिव्य हिमाचल’ की टीम को देखकर मुस्कराए। बातचीत में पता चला कि सभी युवा पढ़े-लिखे थे, जिनमें से कुछ वोट देने के लिए विशेष रूप से बड़ोह आए थे। पूछने पर युवाओं ने स्पष्ट कहा कि वह बड़ोह के विकास से संतुष्ट हैं, इसीलिए वोट कांग्रेस को ही देंगे। हालांकि दो-एक नौजवान विकास की इस इबारत से सहमत नहीं थे। चंगर के रूप में विख्यात बड़ोह के नौजवानों की बेबाकी किसी को भी प्रभावित करने में समक्ष थी। इसके बाद सरोत्री और सुन्ही में भी मतदाताओं का उत्साह स्पष्ट दिखा और कांग्रेस की प्रचार सामग्री भी।

मतदाताओं में उत्साह

कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र के दौलतपुर मतदान केंद्र पर दोपहर बाद तीन बजे भी मतदाताओं की कतार थी, जहां 70 प्रतिशत वोट डाले जा चुके थे। लोगों से अलग-अलग बात करने के बाद नतीजा यह निकला कि मतदाता आजाद उम्मीदवार डा. राजेश शर्मा से अधिक प्रभावित थे। कांगड़ा शहर में भी उम्मीदवार का यही प्रभाव नजर आया। हालांकि शहर की हद से निकलकर गगल की ओर बढ़ने पर भाजपा उम्मीदवार संजय चौधरी और कांग्रेस प्रत्याशी पवन काजल की ओर झुकाव अधिक दिख रहा था।

जुबां पर वोटर्ज के मन की बात

नौकरी नहीं मिल रही

मस्सल के विशाल आईटीआई डिप्लोमा होल्डर्ज और आर्ट्स गेजुएट हैं। वह कहते हैं यहां रोजगार के अवसर बढ़ने चाहिए। विशाल को रंज है कि इतनी पढ़ाई के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल रही। उनके चेहरे पर सरकार के खिलाफ निराशा साफ झलक रही थी।

बाली का जवाब नहीं

बड़ोह में एक बूथ के बाहर मौजूद युवाचमन,आशीष,साहिल,सुनील,रजत ने माना कि बाली चंगर के लीडर हैं। उनकी बदौलत यहां विकास को पंख लगे हैं। युवाओं ने यहां तक कहा कि केंद्र में भले ही मोदी हावी दिखते हों,लेकिन नगरोटा बगवां में जीएस बाली का कोई जवाब नहीं।

जंगल में बस स्टैंड क्यों

बड़ोह में मनजीत नामक युवक ने जंगल में अंतरराज्यीय बस स्टैंड पर सवाल उठाया। कहा कि बस स्टैंड की जगह कोई और प्रोजेक्ट यहां आता,तो तस्वीर बेहतर हो सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि यहां 24 घंटे डाक्टर नहीं मिल पाता,कई जगह स्टाफ की भी कमी है।

कूका बोले, कब तक खुद को सीएम बताएंगे बाली

भाजपा प्रत्याशी अरुण मेहरा कूका को अपनी जीत पर शत प्रतिशत भरोसा है। अढ़ाई हजार वोटर्ज वाले मस्सल बूथ पर दिव्य हिमाचल से रू-ब-रू कूका ने बाली पर तीखा तंज कसा। कहा कि ‘आखिर बाली कब तक खुद को सीएम कैंडीडेट घोषित कर जनता को बेवकूफ बनाते रहेंगे’। ‘यकीन मानिए,नगरोटा बगवां में इस बार 16 साल का सूखा खत्म होने वाला है। भाजपा यहां बड़ी जीत की ओर है।

  बाली का जवाब, जनता की भावनाओं के आगे मजबूर

कूका के सवालों पर कांग्रेस प्रत्याशी जीएस बाली ने कहा,‘जनता अगर मुझे सीएम देखना चाहती है,तो इसमें मेरा क्या कसूर है। नगरोटा बगवां की जनता को सिर्फ काम चाहिए। जनता जो चाहती है,वही मैं करता हूं। मैं जनता से ऊपर नहीं हूं। हलके की जनता इस बार भी विकास को चुन रही है। काम करना पड़ता है, इस बार भी नगरोटा बगवां की जनता विकास पर मुहर लगाएगी।


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