अवैध भवन मालिकों को झटका

By: Nov 18th, 2017 12:04 am

एनजीटी के फैसले से हजारों के हाल खराब, 27 हजार हैं बिना नक्शे के भवन

शिमला — एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अवैध निर्माण को लेकर दिए गए फैसले से हजारों अवैध भवन मालिकों को बड़ा झटका लगा है। राज्य में करीब 27 हजार अवैध भवन हैं, जो नियमों को दरकिनार खड़े किए गए हैं, इन्हें रेगुलर करने के लिए भारी-भरकम पर्यावरण मुआवजा चुकाना होगा। एनजीटी के इस फैसले के बाद अब राज्य में भविष्य में अवैध निर्माण नहीं हो पाएगा। एनजीटी के इस फैसले से अवैध निर्माण पर रोक लगेगी और पर्यावरण सरंक्षण को मदद मिलेगी। प्रदेश में अवैध भवनों का मामला बहुत गंभीर बन रहा है। पहाड़ी राज्य में भारी तादाद में लोगों ने अवैध भवनों का निर्माण कर पहाड़ों को कंक्रीट में बदलकर रख दिया है। राज्य में करीब 27 हजार भवन ऐसे हैं, जिनके या तो नक्शे ही पास नहीं हैं या नक्शे पास होने के बावजूद उनके अनुरूप नहीं बनाए गए। भवन बनाने की होड़ राज्य में इस कद्र है कि शहरी निकायों और प्लानिंग एरिया में भवन मालिकों ने अपने घरों के आसपास सेटबैक भी नहीं छोड़े हैं और ऐसे में लोगों के चलने के लिए भी जगह नहीं बच पाई है। भवनों को कई मंजिलों का बना दिया गया है। हिमाचल में सरकारों ने रिटेंशन पालिसी लाकर इन अवैध भवनों के निर्माण को एक तरह से बढ़ावा ही दिया है। राज्य में सरकारें अब तक सात बार अवैध भवनों को नियमित करने के लिए रिटेंशन पालिसी ला चुकी हैं, लेकिन इनके तहत मुश्किल से दस फीसदी मकान ही नियमित हो पाए हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह रही है कि इन पालिसियों में भवनों को नियमित करने के लिए जो शुल्क तय किए गए हैं, वे भवन मालिकों के अनुसार भारी भरकम थे। हाल ही में पिछले साल भी सरकार ने एक रिटेंशन पालिसी अवैध भवनों को लेकर लाई थी, इसमें भी पहले अधिक फीस का प्रावधान था। हालांकि इसके बाद सरकार ने शुल्क कम कर दिया था। इस पालिसी के अनुसार नक्शे पास हुए मकानों में डेविएशन के लिए शहरी निकायों में 800 रुपए प्रति वर्ग मीटर और ग्रामीण इलाकों में 400 रुपए प्रति वर्ग मीटर का शुल्क तय किया गया था। जहां बिना नक्शे के ही मकान बनाए गए हैं, वहां शहरी निकायों में 1000 रुपए प्रति वर्ग मीटर और ग्रामीण इलाकों में 500 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से शुल्क तय किए थे, लेकिन इसे भी भवन मालिकों ने तब बहुत ज्यादा माना था और तब नौ हजार लोगों ने ही भवन रेगुलर करने के लिए आवेदन दिए थे। हालांकि यह पालिसी विवादों में घिर गई और  अब यह मामला हाई कोर्ट में है।

निर्माण से ज्यादा का लगेगा शुल्क

एनजीटी ने अब साफ किया है कि कोई भी अवैध निर्माण नियमित नहीं किया जाएगा। केवल 13 नवंबर से पहले के आवेदनों वाले भवन ही नियमित होंगे। इसके लिए भारी भरकम शुल्क चुकाने पड़ेंगे। आवासीय भवनों के लिए यह शुल्क पांच हजार प्रति वर्ग फुट और व्यावसायिक भवनों के लिए दस हजार वर्ग फुट के हिसाब से शुल्क देना होगा। बाकी शुल्क अलग से देना पड़ेंगे। जानकारों का कहना है कि एनजीटी ने अब जो शुल्क तय किए हैं, उससे भवन मालिकों को इतना शुल्क देना पड़ेगा, जितना कि भवनों के निर्माण पर भी खर्चा नहीं आएगा। इससे उनके भवन मालिकों को भारी झटका लगेगा, जिन्होंने भारी मात्रा में डेविएशन की है। ऐसे में इससे अवैध निर्माण पर रोक लगेगी।

एनएच के साथ बड़ी-बड़ी इमारतें

हिमाचल में राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ ही भारी संख्या में भवन खड़े कर दिए गए हैं। कई मंजिला ऊंची इमारतें इन मार्गों के बिलकुल साथ ही बनाई गई हैं, लेकिन अब एनजीटी ने इन पर रोक लगा दी है। एनजीटी ने साफ किया है कि इन मार्गों के तीन मीटर के दायरे में कोई भी भवन निर्माण नहीं हो सकेगा। एनजीटी ने पर्यावरण बचाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है कि हिमाचल में बिना मंजूरी कहीं भी पहाड़ या पेड़ काटने पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। इससे पहाड़ी इलाकों में कटान से होने वाले भू-स्खलन रोका जा सकेगा।

तीन महीने में गिराएं ऐसी बिल्डिंग

एनजीटी के फैसले से शिमला के ग्रीन, कोर व वन क्षेत्र में अवैध निर्माण पर रोक लगेगी। एनजीटी ने इन इलाकों में हुआ अवैध निर्माण तीन महीने के भीतर गिराने के निर्देश दिए हैं। सघन हरित या वन क्षेत्र के बाहर का ऐसा इलाका, जो शिमला प्लानिंग एरिया के प्राधिकरणों के अधीन आता है, वहां निर्माण बेहद कड़ी शर्तों और मौजूदा कानूनों के आधार पर ही संभव होगा।

अढ़ाई मंजिल से ज्यादा तो भूल जाओ

पहाड़ों की रानी को कंक्रीट बनने से रोकने के लिए अहम फैसले के तहत अब ग्रीन, कोर और वन क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों में अढ़ाई मंजिला भवन से अधिक नहीं बनाया जा सकेगा। सिर्फ सरकारी अस्पताल, स्कूल और जरूरी कार्यालयों को इससे छूट होगी। इसके लिए गठित सुपरवाइजरी कमेटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र व अनुमति भी लेनी होगी। इससे यहां ऊंची व खतरनाक इमारतों पर रोक लगेगी।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App