उद्वेलित करते हैं भौतिकी के अनसुलझे प्रश्न

By: Nov 11th, 2017 12:05 am

भौतिकशास्त्रियों को आशा है कि महा एकीकृत सिद्धांत मजबूत नाभिकीय, कमजोर नाभिकीय और विद्युत-चुंबकीय बल को एकीकृत करेगा। वर्तमान में एक से ज्यादा महा एकीकृत सिद्धांत उपलब्ध हैं, लेकिन हमें इनमें से सही महा एकीकृत सिद्धांत के चयन के लिए आंकड़े चाहिए। यदि इन सभी बलों का महाएकीकरण संभव होगा, तब यह सभी प्रतिक्रियाएं/बल एक ही एकीकृत प्रक्रिया/बल के विभिन्न पहलू होंगे…

महा एकीकृत सिद्धांत

वर्तमान में कण-भौतिकी के वैज्ञानिकों का एक मुख्य उद्देश्य विभिन्न बलों को एकीकृत कर एक महा एकीकृत सिद्धांत बनाने का है जो कि ब्रह्मांड की संरचना को एक सुव्यवस्थित रूप देगा। स्टैंडर्ड माडेल का सरलीकरण हमारे सभी अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर देगा और भविष्य के अध्ययन को दिशा देगा। जेम्स मैक्सवेल ने इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए विद्युत और चुंबकत्व को एकीकृत किया था। वर्तमान में भौतिक वैज्ञानिक जानते हैं कि उच्च ऊर्जा पर विद्युत-चुंबकीय बल और कमजोर नाभिकीय बल एक ही बल के दो रूप हैं। अपने अंतिम वर्षों में आइंस्टाइन ने गुरुत्त्वाकर्षण और विद्युत-चुंबकीय बलों के एकीकरण का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे।

बल और महा एकीकृत सिद्धांत

भौतिकशास्त्रियों को आशा है कि महा एकीकृत सिद्धांत मजबूत नाभिकीय, कमजोर नाभिकीय और विद्युत-चुंबकीय बल को एकीकृत करेगा। वर्तमान में एक से ज्यादा महा एकीकृत सिद्धांत उपलब्ध हैं, लेकिन हमें इनमें से सही महा एकीकृत सिद्धांत के चयन के लिए आंकड़े चाहिए। यदि इन सभी बलों का महाएकीकरण संभव होगा तब यह सभी प्रतिक्रियाएं/बल एक ही एकीकृत प्रक्रिया/बल के विभिन्न पहलू होंगे। लेकिन यह कैसे संभव है जब मजबूत नाभिकीय, कमजोर नाभिकीय और विद्युत-चुंबकीय बल क्षमता और प्रभाव में इतने ज्यादा भिन्न हैं? यह विचित्र है, लेकिन वर्तमान में उपलब्ध आंकड़े और सिद्धांत यह दर्शाते हैं कि उच्च ऊर्जा पर यह सभी बल मिलकर एक ही बल बन जाते हैं।

उच्च ऊर्जा पर बलों का एकीकरण

महाएकीकरण सिद्धांत पर वर्तमान कार्य यह दर्शाता है कि एक और बलवाहक कण का अस्तित्व है जो प्रोटान के क्षय के लिए उत्तरदायी है। लेकिन प्रोटान का क्षय दुर्लभ है क्योंकि प्रोटान की आयु 1032 वर्ष से ज्यादा है।

महासममिति

कुछ भौतिक शास्त्री गुरुत्त्वाकर्षण और अन्य मूलभूत बलों को एकीकृत करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके अनुमानों के अनुसार हर मूलभूत कण का एक भारी बलवाहक छाया कण होना चाहिए तथा हर बलवाहक कण का एक भारी पदार्थ छाया कण होना चाहिए। पदार्थ कण और बलवाहक कण के इस संबंध को महासममिति नाम दिया गया है। उदाहरण के लिए हर क्वार्क के लिए एक क्वार्क कण होना चाहिए। अभी तक कोई भी महासमितिक कण नहीं पाया गया है, लेकिन महासममितिक कणों की खोज के प्रयोग जारी हैं।

स्ट्रिंग सिद्धांत

आधुनिक वैज्ञानिकों ने क्वांटम यांत्रिकी, सापेक्षतावाद और गुरुत्त्वाकर्षण के लिए कुछ नए और अच्छे सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं, लेकिन यह सभी सिद्धांत एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं। हम त्रिआयामी विश्व में रहते हैं, जिससे इन सिद्धांतों पर कुछ प्रश्न खड़े होते हैं। यदि हम तीन आयामों से ज्यादा आयामों वाले विश्व में रहें तो ये प्रश्न स्वयं सुलझ जाएंगे। स्ट्रिंग सिद्धांत आधुनिक भौतिकी का एक गणितीय सिद्धांत है। इसके अनुसार तीन साधारण आयामों के अतिरिक्त कुछ बहुत छोटे आयाम भी हैं, इसमें कण एक बिंदू के जैसे न होकर तंतु (धागे) या पर्दे के जैसे हैं! इन अतिरिक्त आयामों में ‘पर्दा’ विचित्र लगता है और हमें इन्हें समझने में परेशानी होती है। और यह अतिरिक्त छोटे आयाम क्या हैं?


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