एचपीयू में चल रही दुकानदारों की मनमर्जी
शिमला – हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय परिषद में छात्रों की सुविधा के लिए चलाई गई दुकानों में छात्रों से मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। छात्रों से एक ही गुणवत्ता वाली चीजों से अलग-अलग दाम वसूलने पर विश्वविद्यालय प्रशासन का भी किसी तरह का नियंत्रण नहीं है। दुकानदार अपनी मनमर्जी से वस्तुओं के दाम निर्धारित कर उन्हें छात्रों पर थोप रहे हैं। किसी भी तरह के दाम दुकानों के लिए अभी तक तय नहीं किए गए हैं। दुकानदारों की मनमर्जी से तंग आकर छात्रों ने अब इसके समाधान के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष मांग उठाई है। इस पूरे मामले को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय छात्र अधिष्ठाता कल्याण से मुलाकात की। एबीवीपी ने विवि में व्यापारी वर्ग द्वारा वसूले जा रहे अलग-अलग नामों को लेकर ज्ञापन सौंपा। इकाई अध्यक्ष और इकाई सचिव ने ज्ञापन सौंपते हुए समस्त मांगें छात्र अधिष्ठाता कल्याण के सामने रखीं। इकाई अध्यक्ष विश्वबंधु शर्मा ने आरोप लगाया कि विवि में जितनी कैंटीन और दुकानें हैं, वहां पर कैंटीन में एक ही चीज अलग-अलग मनमाने दामों पर बेच रहे हैं, जबकि सबकी गुणवत्ता एक जैसी है, चाहे कम दाम हों, चाहे ज्यादा दाम हों। विश्वबंधु शर्मा ने बताया कि सभी कैंटीनों का निरीक्षण होना चाहिए। जहां खाने की वस्तुओं को मनमाने दामों पर न बेचकर दुकान या कैंटीन में रेट लिस्ट लगाई जाए तथा गुणवत्ता के आधार पर दाम तय किया जाए। इकाई सचिव सुयश पवार ने बताया कि विवि में चला स्टेशनरी की दुकानों पर फोटोस्टेट और प्रिंटआउट के मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। सुयश पवार ने बताया कि जो री-अपीयर और अन्य परीक्षा फार्म विवि से दस रुपए में मिलता है, उस फार्म को फोटोस्टेट करके जो दो रुपए का फार्म बिकना चाहिए, उस फोटोस्टेट फार्म को दुकानदार 20 रुपए में मनमाने तरीके से बेच रहे हैं। सुयश पवार ने कहा कि विद्यार्थी परिषद की यही मांग है कि विवि प्रशासन व्यापारी वर्ग पर खुद समय-समय पर निरीक्षण करें तथा जो परीक्षा फार्म मनमाने दामों पर फोटोस्टेट बिक रहे हैं उन्हें विवि खुद बेचे, ताकि इससे विवि को भी आय हो जाएगी तथा गरीब छात्र भी मनमाने दाम देने से बचेगा। छात्र अधिष्ठाता कल्याण ने बहुत जल्द इन मांगों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
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