कक्षाएं कम, परीक्षाओं में बीत रहा ज्यादा वक्त

By: Nov 24th, 2017 12:02 am

च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम में कालेजों में 90 दिन टीचिंग-डे के रूल नहीं हो पा रहे पूरे

शिमला— प्रदेश में लागू राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली के तहत च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) में छात्रों का समय कक्षाओं में कम और परीक्षाओं में अधिक बीत रहा है। छात्र इतनी कक्षाएं अपने एक सेमेस्टर में इस सिस्टम के तहत नहीं लगा पा रहे हैं, जितने दिन वे इस सिस्टम के तहत पढ़ाए जा रहे कोर्सेज की परीक्षाएं देने में लगा रहे हैं। विवि ने जब से सीबीसीएस यूजी स्तर पर लागू किया है, तब से कालेज इस समस्या से जुझ रहे हैं। हालांकि सिस्टम के नियमों के तहत पूरे 90 दिन की कक्षाएं लगाने का प्रावधान रूसा में है, लेकिन प्रदेश के कालेजों में ये कक्षाएं तय नियमों के तहत लग ही नहीं पा रही हैं। हालात ये हैं कि कालेजों में मात्र दो माह यानी 60 दिन ही वास्तविक रूप से छात्रों की कक्षाएं एक सेमेस्टर में लग पाती हैं। टीचिंग-डे कम होने से छात्रों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी अन्य गतिविधियों पर भी इसका असर साफ दिख रहा है। हालांकि प्रदेश कालेज प्राचार्य एसोसिएशन सहित कालेज प्राध्यापक संघ ने विवि प्रशासन के समक्ष पहले भी इस मुद्दे को उठाया था। प्रशासन ने भी शिक्षकों की मांग को जायज समझते हुए सीबीसीएस के तहत एक सेमेस्टर में दो बार होने वाली मिड टर्म परीक्षाओं में एक मिड टर्म को समाप्त कर एक सेमेस्टर में एक ही बार मिड टर्म परीक्षाएं करवाने का बदलाव किया था। इस परिवर्तन के बाद टीचिंग-डे में 15 से अधिक दिनों की बढ़ोतरी होने से कालेजों को राहत  मिली थी, लेकिन इसके बाद भी हालात में उस हद तक सुधार नहीं हो पाया है। वहीं प्रिसिंपल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष प्रो.ओपी कायस्था ने बताया कि कालेजों को सीबीसीएस के तहत छात्रों के टीचिंग-डे पूरा करने में परेशानी आ रही है। न तो सिलेबस समय  पर पूरा हो रहा है, न ही छात्र अन्य खेलकूद गतिविधियों में भाग ले पा रहे हैं। ऐसे में नई सरकार बनने पर कालेज प्राचार्य संघ इस प्र्रणाली को वार्षिक आधार पर करने की मांग सरकार के समक्ष रखेगा।

वार्षिक प्रणाली से दिक्कत का समाधान

सीबीसीएस के तहत कक्षाएं कम और परीक्षाएं अधिक दिन की होने की समस्या का एक ही समाधान है कि इस प्रणाली को वार्षिक आधार पर प्रदेश में लागू किया जाए। वार्षिक सिस्टम लागू होने से टीचिंग-डे में बढ़ोतरी होगी व छात्रों को अन्य गतिविधियों में भाग लेने का मौका मिलेगा।


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