कविता
Nov 19th, 2017 12:05 am
खूब हंसाता पेड़
बादल धरती पर बरसाता
हरा-भरा मुस्कराता पेड़।
हम बच्चों के मन को भाता,
हरा-भरा मुस्कराता पेड़।
हानिकारक गैसें खुद पर जाता,
हरा-भरा मुस्कराता पेड़।
शुद्ध हवाओं का यह दाता,
हरा-भरा मुस्कराता पेड़।
पतझड़ में पीला पड़ जाता,
हरा-भरा मुस्कराता पेड़।
वर्षा में फिर खिल-खिल जाता,
हरा-भरा मुस्कराता पेड़।
बच्चों में अपनापन पाता,
हरा-भरा मुस्कराता पेड़।
जब भी मिलता, खूब हंसाता,
हरा-भरा मुस्कराता पेड़।
अशोक जैन, भवानी मंडी
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