कश्मीर से बर्मा तक फैला है हिमालय

By: Nov 15th, 2017 12:03 am

हिमालय के महत्त्व और इसके रहस्यों की  तरफ सदैव ही संसार के लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ है। हिमालय पर्वत कश्मीर घाटी  से लेकर बर्मा तक फैला हुआ है…

महाकवि कालीदास ने हिमालय की महिमा को जानते हुए, इसे देव आत्मा हिमालय की संज्ञा दी है। अपनी सुप्रसिद्ध कृति कुमारसंभव ग्रंथ में वह लिखते हैं-

 अस्त्युतरस्यां दिशि देवात्मा, हिमालयो नाम नग्गाधिराज।

पूर्वपरौ तोयनिधी बगाहय, स्थितः, पृथिव्या इव मान दंडः।।

हिमालय के महत्त्व और इसके रहस्यों की  तरफ सदैव ही संसार के लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ है। हिमालय पर्वत कश्मीर घाटी से लेकर बर्मा तक फैला हुआ है। यह जम्मू और कश्मीर से शुरू होते हुए हिमाचल प्रदेश, गढ़वाल और कुमाऊं, नेपाल, दार्जिलिंग, सिक्किम, भूटान, नागालैंड और असम आदि क्षेत्रों में 250 किलोमीटर से 300 किलोमीटर तक चौड़ा व 2500 किलोमीटर तक लंबाई में  फैला है। सामान्यतयः इसका विस्तार गिलगिट के निकट सिंधु नदी के मोड़ से असम में ब्रहापुत्र नदी की मोड़ तक माना जाता है। परंतु संरचना एवं भूस्वरूप के आधार पर हिमालय का विस्तार इन सीमाओं के पार भी जाता है। हिमालय के उद्भव, संरचना तथा उच्चावच को समझने के लिए उनकी निम्न विशिष्टताओं पर ध्यान देना अवाश्यक है।

(क) हिमालय पश्चिम में नागा पर्वत तथा पूर्व में  नमचा बरवा शिखरों के मध्य एक उन्नतोदर चाप की आकृति धारण करता है।

(ख)  हिमालय के पश्चिम में एवं पूर्वी छोरों पर मुड़े हुए घुटने की भांति तीखे मोड़ दिखाई पड़ते हैं।

                              -क्रमशः


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