किसी काम का नहीं कर्मचारी कल्याण बोर्ड!

By: Nov 15th, 2017 12:15 am

मुलाजिमों के हक के लिए पांच साल में सरकार के साथ नहीं कर पाया एक भी बैठक

शिमला —  प्रदेश में सरकार द्वारा गठित कर्मचारी कल्याण बोर्ड कर्मचारियों के काम नहीं आ सका है। कर्मचारियों के साथ पेंशनरों के बीच भी सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने के लिए इस बोर्ड का गठन किया गया था, परंतु यह इस काम को पूरा नहीं कर सका। हैरानी की बात है कि इस बोर्ड पर सरकार ने लाखों रुपए का खर्चा किया, लेकिन पांच साल में एक भी बैठक सरकार के साथ इसकी कर्मचारियों को लेकर नहीं हो सकी। यहां तक कि कर्मचारी महासंघ के साथ एक जेसीसी ही इस सरकार में हुई, जिसका नतीजा भी कुछ न निकल पाया। जानकारी के अनुसार पूर्व में भाजपा सरकार के समय में कर्मचारी एवं पेंशनर कल्याण बोर्ड का गठन करने की रिवायत शुरू हुई थी, जिसे मौजूदा सरकार ने भी चलाए रखा। इसमें बाकायदा एक उपाध्यक्ष का पद सृजित किया गया, जिस पर लाखों रुपए का खर्च भी किया गया। कर्मचारी कल्याण बोर्ड का काम था कि वह सरकार और कर्मचारियों के साथ पेंशनरों में भी सामंजस्य स्थापित करे। वर्तमान में भी कर्मचारियों और पेंशनरों की वे मांगें लंबित हैं, जिनके लिए सरकार ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था। बीच में इन मांगों पर आदेश भी दिए गए, लेकिन अफसरशाही ने कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में कर्मचारी कल्याण बोर्ड का यह काम था कि वह सरकार से कर्मचारी संगठनों की बैठक करवाता और उनकी मांगों को पूरा करवाता, परंतु ऐसा नहीं हो सका।  इससे कर्मचारी वर्ग में नाराजगी है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इस तरह से कल्याण बोर्ड का गठन करने की कोई जरूरत ही नहीं, जो सरकार पर फालतू का बोझ हो।  कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इस बोर्ड को पूरी तरह से क्रियाशील किया जाए, ताकि कर्मचारियों व पेंशनरों के मसले इसके माध्यम से सरकार हल करवाए। फिलहाल इस तरह के बोर्ड के गठन की प्रदेश में कोई जरूरत महसूस नहीं हो रही है। इसमें उपाध्यक्ष व उसके स्टाफ के अलावा कोई दूसरे कर्मचारी ही नहीं हैं।

कर्मचारी कर रहे समीक्षा

चुनाव के बाद अब जब कर्मचारी हर तरह की समीक्षा कर रहे हैं तो उसमें यह मामला भी सामने आया है कि पांच साल तक यह कल्याण बोर्ड निष्क्रिय रहा, जिसका कोई लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल सका है। भविष्य में ऐसे बोर्ड बनने चाहिएं या नहीं, इस पर चर्चा चल रही है।


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