क्यों आए भगवान शिव महाकाली के पैरों के नीचे

By: Nov 4th, 2017 12:05 am

सभी देवता भगवान शिव के पास गए और महाकाली को शांत करने के लिए प्रार्थना करने लगे। भगवान शिव ने उन्हें बहुत प्रकार से शांत करने की कोशिश की। जब सभी प्रयास विफल हो गए, तो वह उनके मार्ग में लेट गए। जब उनके चरण भगवान शिव पर पड़े तो वह एकदम से ठिठक गई…

भगवती दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक हैं महाकाली। जिनके काले और डरावने रूप की उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी। यह एक मात्र ऐसी शक्ति हैं जिन से स्वयं काल भी भय खाता है। उनका क्रोध इतना विकराल रूप ले लेता है की संपूर्ण संसार की शक्तियां मिल कर भी उनके गुस्से पर काबू नहीं पा सकती। उनके इस क्रोध को रोकने के लिए स्वयं उनके पति भगवान शंकर उनके चरणों में आ कर लेट गए थे। इस संबंध में शास्त्रों में एक कथा वर्णित हैं जो इस प्रकार है दैत्य रक्तबीज ने कठोर तप के बल पर वर पाया था कि अगर उसके खून की एक बूंद भी धरती पर गिरेगी तो उस से अनेक दैत्य पैदा हो जाएंगे। उसने अपनी शक्तियों का प्रयोग निर्दोष लोगों पर करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसने अपना आतंक तीनों लोकों पर मचा दिया। देवताओं ने उसे युद्ध के लिए ललकारा। भयंकर युद्ध का आगाज हुआ। देवता अपनी पूरी शक्ति लगाकर रक्तबीज का नाश करने को तत्पर थे मगर जैसे ही उसके शरीर की एक भी बूंद खून धरती पर गिरती उस एक बूंद से अनेक रक्तबीज पैदा हो जाते। सभी देवता मिल कर महाकाली की शरण में गए। मां काली असल में सुंदरी रूप भगवती दुर्गा का काला और डरावना रूप हैं, जिनकी उत्पत्ति राक्षसों को मारने के लिए ही हुई थी। महाकाली ने देवताओं की रक्षा के लिए विकराल रूप धारण कर युद्ध भूमि में प्रवेश किया। मां काली की प्रतिमा देखें तो देखा जा सकता है कि वह विकराल मां हैं। जिनके हाथ में खप्पर है, लहू टपकता है तो गले में खोपडि़यों की माला है। मगर मां की आंखें और हृदय से अपने भक्तों के लिए प्रेम की गंगा बहती है। महाकाली ने राक्षसों का वध करना आरंभ किया, लेकिन रक्तबीज के खून की एक भी बूंद धरती पर गिरती तो उस से अनेक दानवों का जन्म हो जाता। जिससे युद्ध भूमि में दैत्यों की संख्या बढ़ने लगी। तब मां ने अपनी जिह्वा का विस्तर किया। दानवों के खून की एक बूंद धरती पर गिरने की बजाय उनकी जिह्वा पर गिरने लगी। वह लाशों के ढेर लगाती गई और उनका खून पीने लगीं। इस तरह महाकाली ने रक्तबीज का वध किया, लेकिन तब तक महाकाली का गुस्सा इतना विक्राल रूप से चुका था कि उनको शांत करना जरूरी था मगर हर कोई उनके समीप जाने से भी डर रहा था। सभी देवता भगवान शिव के पास गए और महाकाली को शांत करने के लिए प्रार्थना करने लगे। भगवान शिव ने उन्हें बहुत प्रकार से शांत करने की कोशिश की। जब सभी प्रयास विफल हो गए, तो वह उनके मार्ग में लेट गए। जब उनके चरण भगवान शिव पर पड़े तो वह एकदम से ठिठक गईं। उनका क्रोध शांत हो गया। आदि शक्ति मां दुर्गा के विविध रूपों का वर्णन मारर्कंडेय पुराण में वर्णित है।


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