चेतना की जागृति

By: Nov 11th, 2017 12:05 am

महेश योगी

भारत की वैदिक शिक्षा पद्धति चेतना विज्ञान पर आधारित है जो यह कहती है कि छात्र को विषयों का बाहरी स्तर पर ही नहीं पहले ज्ञान की जागृति भीतर तक की जाए, अर्थात पहले उसकी चेतना को जाग्रत किया जाए। अपनी भारतीय वैदिक तकनीकों के माध्यम से जब यह हो जाता है तो उसके भीतर प्रत्येक क्षेत्र को समग्रता में समझने की क्षमता आ जाती है…

भारतीय शाश्वत सनातन वेद और वैदिक वाघ्मय के आत्म चेतना जागरणकारी जीवन परक सिद्धांत और प्रयोग करोड़ों व्यक्तियों को उपलब्ध कराकर उनके जीवन में आध्यात्मिक, आदिदैविक और आदिभौतिक तत्त्वों का संतुलित अनुपात में समावेश और सामंजस्य स्थापित किया। वैदिक सिद्धांतों के आधार पर ही महर्षि जी ने विश्व परिवार में दीर्घकाल से अपेक्षित और प्रतीक्षित विश्व शांति और अजेयता स्थापित करने का प्रायोगिक कार्यक्रम बनाया और अनेक देशों में इस कार्य योजना का क्रियान्वयन सफलतापूर्वक प्रारंभ हुआ। आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था इस तरह की है कि यह एक-एक करके अलग-अलग क्षेत्रों का ज्ञान कराती है। इस तरह कोई किसी को कितने क्षेत्रों का ज्ञान करा सकता है? इस तरह कुछ क्षेत्रों का अनुभव या विशेषज्ञता होने से उसे उन क्षेत्रों को जानकार तो कहा जा सकता है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि वह हर क्षेत्र का, हर चीज का ज्ञाता है। भौतिक विज्ञान है, रसायन विज्ञान है, जीव विज्ञान है और न जाने कितने ही विषय, कितने ही क्षेत्र हैं, जिनकी पढ़ाई छात्र करते हैं, लेकिन समग्र ज्ञान किसी कि पास नहीं है। क्या आज कोई शिक्षक यह कह सकता है कि उसको पूरा ज्ञान है? नहीं? फिर ऐसे में कोई शिक्षक किसी छात्र को पूरा ज्ञान कैसे दे सकता है? शिक्षा की यह दशा वैसी ही है जैसे अंधा अंधे को धकेले। यह ज्ञान के प्रति एकांगी रवैये का परिणाम है। इसी कारण आज की शिक्षा की स्थिति यह बन गई है। भारतीय वैदिक शिक्षा छात्र को समग्र शिक्षा प्रदान करने की बात कहती है। उसका पहला लक्ष्य ही है कि पहले छात्र को वह ज्ञान प्रदान किया जाए, जिसके आधार पर वह सभी क्षेत्रों से, सभी विषयों में पूरी पकड़ बना ले। भारत की वैदिक शिक्षा पद्धति चेतना विज्ञान पर आधारित है जो यह कहती है कि छात्र को विषयों का बाहरी स्तर पर ही नहीं पहले ज्ञान की जागृति भीतर तक की जाए, अर्थात पहले उसकी चेतना को जाग्रत किया जाए। अपनी भारतीय वैदिक तकनीकों के माध्यम से जब यह हो जाता है तो उसके भीतर प्रत्येक क्षेत्र को समग्रता में समझने की क्षमता आ जाती है। इसके परिणामस्वरूप यह कहीं भी, कभी भी, कोई भी गलती नहीं करता है। तब वह जिस भी क्षेत्र में चाहे महारथ हासिल कर सकता है। वह जिस भी क्षेत्र में उतरता है, तो त्रुटियों की गुंजाइश नहीं रहती है। क्यों? क्योंकि उसके पास ज्ञान का वह आधार होता है, जिसके आधार पर वह किसी भी क्षेत्र के किसी भी विषय को समग्रता के साथ जान सकता है। यह भारत का चेतना विज्ञान है। यह भारतीय वेद-विद्या की महिमा है। वैदिक तकनीकों के माध्यम से, ध्यान से, योग से, भावातीत ध्यान से चेतना जाग्रत रहती है। उसमें सर्वज्ञता और सर्वसमर्थता रहती है। तब जो भी विचार मन में आता है, जो भी इच्छा होती है उसको उस प्रकृति का, उन प्राकृतिक नियमों का सहयोग मिलने लगता है, जिनसे सब कुछ सुचारू चलता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App