जानिए क्यों तीन हिस्सों में बंटा है यह सूर्यदेव मंदिर

By: Nov 18th, 2017 12:10 am

यह मंदिर अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था। यहां पर इसके संबंध में एक शिलालेख भी मिलता है। सोलंकी सूर्यवंशी, वे सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे।  इसलिए उन्होंने अपने आराध्य देवता की आराधना के लिए एक भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निश्चय किया। इस प्रकार मोढ़ेरा में इस सूर्य मंदिर ने आकार लिया। भारत में तीन सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर हैं, जिसमें पहला ओडिशा का कोणार्क मंदिर, दूसरा जम्मू में स्थित मार्तंड मंदिर और तीसरा गुजरात के मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर। इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरे मंदिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है। ईरानी शैली में निर्मित इस मंदिर को भीमदेव ने तीन हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह, दूसरा सभामंडप और तीसरा सूर्य कुंड है। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट 9 इंच तथा चौड़ाई 25 फुट 8 इंच है। मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर बेहतरीन कारीगरी से विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों और रामायण तथा महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है। इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने पर वह गोल दृश्यमान होते हैं। इस मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि जिसमें सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। इसलिए ये तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। सभामडंप, गर्भ गृह और सूर्य कुंड। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड स्थित है, जिसे लोग सूर्य कुंड या राम कुंड के नाम से जानते हैं। अलाउद्दीन खिलजी ने अपने आक्रमण के दौरान मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया और मंदिर की मूर्तियों की तोड़-फोड़ की। वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को अपने संरक्षण में ले लिया है। ये मंदिर गुजरात के मोढ़ेरा के मेहसाना से 25 किमी. व अहमदाबाद से 102 किमी. की दूरी पर स्थित है।


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