टीएमसी में छात्रों से रैगिंग!

By: Nov 24th, 2017 12:06 am

फेसबुक पर मैसेज वायरल, अभिभावकों ने दर्ज करवाई शिकायत

टीएमसी— डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा में जूनियर छात्रों के साथ कथित रूप से रैगिंग किए जाने की सूचना है। हालांकि इस मामले में कालेज प्रशासन ने साफ कहा है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि कुछ जूनियर छात्रों के अभिभावकों ने इस संदर्भ में टीएमसी प्रशासन को शिकायत पत्र भी भेजा है, लेकिन इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हो पाई है। रैगिंग उन छात्रों से हुई बताई जा रही है, जो बाहर क्वार्टर लेकर रहते हैं। हालांकि छात्र इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। गुरुवार को जैसे ही टीएमसी में यह खबर फैली तो कालेज प्रशासन में हड़कंप मच गया। कालेज प्रशासन  ने गुरुवार को कक्षाओं में जाकर जूनियर छात्रों से पूछताछ की, लेकिन किसी भी छात्र ने इस बारे में कुछ नहीं बताया। टीएमसी में रैगिंग की सूचना फेसबुक पर भी वायरल हुई है। इसमें एक बच्चे के अभिभावक के अनुसार उनके बेटे ने बताया है कि सीनियर उन्हें रात को बुलाते हैं और बनियान और टी-शर्ट के साथ रात 12 बजे तक बाहर रखते हैं। अभिभावक इसलिए शिकायत करने से डरते हैं कि कहीं उनके बच्चे का हाल ‘अमन काचरू’ जैसा न हो जाए। बता दें कि अगस्त में टीएमसी में एमबीबीएस की कक्षाओं का नया सत्र शुरू हुआ है। सत्र शुरू होने के दौरान यहां ऑडिटोरियम में एंटी रैगिंग कमेटी के सदस्यों और कालेज प्रिंसीपल द्वारा रैगिंग को लेकर लंबा-चौड़ा भाषण दिया गया था, लेकिन रैगिंग की इस चर्चा के बाद एंटी रैगिंग कमेटी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। उधर, टीएमसी के होस्टल मैनेजर दीपक वर्मा ने कहा कि रैगिंग जैसा कोई मामला होस्टल में नहीं हुआ है। हां, अगर बाहर रूम लेकर रहने वाले किसी छात्र के साथ ऐसा हुआ हो तो उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। डीएसपी कांगड़ा संजीव चौहान ने कहा कि टांडा मेडिकल कालेज की ओर से पुलिस को जानकारी दी गई है कि सुंदरनगर के विनोद कुमार नामक व्यक्ति ने रैगिंग के बारे में सूचना फेसबुक पर पोस्ट की है। फिजिकली किसी ने इस बारे में कोई शिकायत नहीं की है। सुंदरनगर के उस व्यक्ति को बुलाया जा रहा है। टीएमसी पर पहले भी लग चुका है दाग ः टीएमसी में आठ मार्च, 2009 को एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र 19 वर्षीय अमन काचरू की रैगिंग के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में चार सीनियर छात्रों को दोषी पाया गया था। बताते हैं कि अमन काचरू ने कालेज प्रशासन से इस संदर्भ में शिकायत भी की थी, लेकिन प्रशासन पुलिस में केस देने की जगह अपने स्तर पर ही मामले को निपटाने में लगा रहा। इसका नतीजा यह हुआ कि एक निर्दोष बच्चे की जान चली गई।


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