देवता जमलू के स्थान को छुआ तो खैर नहीं
भुंतर — महंगाई और लगातार बढ़ती जरूरतों ने हर चीज के दाम बढ़ा दिए हैं तो देवता जमलू की जमहूरियत वाले विश्व की सबसे प्राचीन गांव की ख्याति प्राप्त मलाणा में देवता के आदेश न मानने पर लगने वाला जुर्माना बढ़ गया है। यहां देवता के एक विशेष स्थान पर जाने या छूने पर वसूला जाने वाला जुर्माना देवता प्रबंधकों ने बढ़ा दिया है। कभी नियमों को तोड़ने पर वसूला जाने वाला एक हजार जुर्माना पहले बढ़ाकर 2500 कर दिया गया था तो अब इसमें भी इजाफा कर 3500 इसे किया गया है। मलाणा पूरे देश का वह इकलौता गांव है, जहां ग्रामीण किसी भी काम को करने से पहले अपने देवता जमलू से इजाजत लेते हैं और तो और गांव में किसी विवाद का निपटारा भी देव-दरबार में ही होता है। देवादेशों का सबसे सख्ती से पालन आज भी इस गांव में होता है। बता दें कि गांव के मध्य में देवता का एक विशेष स्थान है। यह वह स्थान है, जहां से देवता द्वारा अहम फैसले लिए जाते हैं और यहां किसी बाहरी आदमी के प्रवेश पर पूर्ण तौर पर प्रतिबंद्ध है। जानकारों के अनुसार इस स्थान को छूने की भी मनाही है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उससे मौके पर ही जुर्माना वसूला जाता है और तब तक वह वहां से नहीं जा सकता। मलाणा के ग्रामीणों की मानें तो इस पैसे से उक्त स्थान की शुद्धि करने की परंपरा है, जिसके तौर पर इसे वसूला जाता था। जानकारी के अनुसार कभी यह जुर्माना एक हजार रुपए वसूला जाता था या इसके स्थान पर बकरा देना पड़ता था। बाद में इसे बढ़ाक र मंदिर प्रबंधकों ने 2500 रुपए कर दिया था। बता दें कि प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही सालों से प्रदेश में बलि प्रथा पर प्रतिबंध लगा रखा है। लिहाजा, मंदिर प्रबंधकों ने भी अब जुर्माने के प्रावधान से बकरे को भेंट करने की शर्त को हटा दिया है, लेकिन जो जुर्माना राशि वसूली जाती थी, उसमें इजाफा कर 3500 रुपए कर दिया है। स्थानीय पंचायत के प्रधान भागी राम कहते हैं कि यह जुर्माना राशि देवता के स्थान को शुद्ध करने के लिए ली जाती है।
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