दो हजार स्कूल सीखेंगे आयुर्वेद

By: Nov 23rd, 2017 12:05 am

विभाग ने गोद लीं प्रदेश भर की 1700 एलिमेंटरी, 300 उच्च-वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं

 मंडी— आधुनिकता में लुफ्त व हमारे जीवन से दूर होते जा रहे आयुर्वेद को संरक्षण देने और भविष्य की पीढ़ी को इसके गुणों से पिरोने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार के आयुर्वेद विभाग ने एक नई पहल की है। आयुर्वेद विभाग ने स्कूल आडप्शन प्रोग्राम के तहत हिमाचल प्रदेश के दो हजार स्कूलों को गोद ले लिया है। इन स्कूलों के बच्चे अब पढ़ाई व खेलकूद के साथ आयुर्वेद का महत्त्व समझेंगे, उसे जानेंगे और अपनी दिनचर्या में भी आयुर्वेद के वरदानों को ढालेंगे। आयुर्वेद विभाग ने कुछ समय पहले यह प्रयास शुरू किया था और इस प्रयास के तहत अब प्रदेश के 1700 के लगभग एलिमेंटरी स्कूलों और 300 के लगभग उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं को गोद ले लिया है। इस प्रयास के लिए आयुर्वेद विभाग को प्रदेश सरकार के साथ ही 15 लाख रुपए की ग्रांट केंद्र सरकार से भी मिली है। वहीं इन गोद लिए गए स्कूलों में आयुर्वेद विभाग ने अपनी एक्टीविटी शुरू कर दी है। इसमें बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के अलावा उन्हें कई महत्त्वूपर्ण जानकारियां आयुर्वेद के माध्यम से दी जाएंगी, जिसमें बच्चे वात, पित और कफ का भी ज्ञान जानेंगे। क्या खाना है, कब खाना है, कब उठना है, कब सोना है, कब पढ़ना है और कैसे पढ़ना है, इन सारी बातों से बच्चों को तथ्यों व प्रमाण के साथ बताया जाएगा। बच्चों को पर्सनल हाइजीन के बारे में भी जानकारी मिलेगी। इसके अलावा बच्चों को सूर्य नमस्कार करना भी सिखाया जाएगा। आयुर्वेद विभाग के निदेशक आरके पुरुथी ने बताया कि विभाग की सचिव निशा सिंह की अगवाई में यह प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को अगर हमें अपने जीवन व समाज में ढालना है, तो फिर इसके लिए बच्चे ही सबसे बेहतर माध्यम हैं। जब बच्चे स्कूली जीवन में ही आयुर्वेद का महत्त्व समझ जाएंगे, तो फिर इसे जीवन भर अपनाएंगे। इससे बेहतर हिमाचल प्रदेश का निर्माण होगा।

साल में 12 लेक्चर देंगे विशेषज्ञ

आयुर्वेद विभाग के विशेषज्ञ साल में इन स्कूलों में 12 लेक्चर बच्चों को विशेष दिनों पर देंगे। वहीं विभाग की तरफ से तीन विशेष पोस्टर भी स्कूलों के लिए तैयार किए गए हैं, जिनमें कई प्रकार की जानकारियां दी गई हैं। वहीं इसी योजना के तहत हर स्कूल में आयुष वाटिकाआें का भी निर्माण विभाग करेगा। इन आयुष वाटिकाओं में औषधीय व जड़ी-बूटियों से संबंधित पौधे लगाए जाएंगे। इनके बारे में न सिर्फ बच्चों को बताया जाएगा, बल्कि इनका प्रयोग करना भी बच्चों को करना सिखाया जाएगा।


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