फिर जौहर में पद्मावती

By: Nov 19th, 2017 12:08 am

रानी पद्मावती को लेकर भी इतिहास खुद को दोहराता हुआ प्रतीत हो रहा है। लोक मान्यताओं और इतिहास के बिखरे पृष्ठों को एक जगह एकत्रित करें तो पता चलता है कि कभी किसी आक्रांता की सनक के कारण पद्मावती को जौहर करना पड़ा था, अब इतिहास के मनमाने चित्रण के कारण उनकी छवि एक और जौहर करने के लिए बाध्य जैसी दिखती है…

यदि गलतियों से सबक न सीखा जाए तो इतिहास खुद को दोहराता है। इस प्रक्रिया में कई बार एक ही व्यक्ति बार-बार इतिहास की सूली पर चढ़ने को बाध्य होता है। रानी पद्मावती को लेकर भी इतिहास खुद को दोहराता हुआ प्रतीत हो रहा है। लोक मान्यताओं और इतिहास के बिखरे पृष्ठों को एक जगह एकत्रित करें तो पता चलता है कि कभी किसी आक्रांता की सनक के कारण पद्मावती को जौहर करना पड़ा था, अब इतिहास के मनमाने चित्रण के कारण उनकी छवि एक और जौहर करने के लिए बाध्य जैसी दिखती है। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ पर विवाद होने के बाद रानी पद्मिनी के होने-न होने पर प्रश्न उठाए गए। इतिहासकारों ने बयान दिए, सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी का गढ़ा किरदार तक बताया गया, ट्वीट भी किए गए, परंतु रानी पद्मिनी के शहर चित्तौड़गढ़ में आज भी कई प्रमाण उनके होने की गवाही देते हैं। रानी की एकमात्र मूर्ति मानी जाने वाली मूर्ति आज भी वहां है। इसके अलावा, उदयपुर के पास तारीखों के साथ रानी पद्मिनी का उल्लेख करते शिलालेख के बारे में भी पता चला। राजस्थान में रानी पद्मिनी को शौर्य का प्रतीक माना जाता है। विवाद का एक कारण यह भी है कि कई इतिहासकार पद्मिनी के होने की बात को झुठला रहे हैं। उनकी नजर में यह केवल एक काल्पनिक पात्र था। राजस्थान और खासकर चित्तौड़ के इतिहास में उन राजाओं का कम उल्लेख किया गया है, जिनका शासन काल कम समय का रहा है। इतिहास के अनुसार, राजा रतन सिंह ने केवल 1 साल, 3 महीने और 5 दिन (1158 ईस्वी) ही चित्तौड़ पर शासन किया। राजपूतों के इतिहास में रानियों और राजपरिवार की महिलाओं का भी कम उल्लेख मिलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि परंपराओं के अनुसार उन्हें परदे में रहना होता था और वे खुलकर सबके सामने नहीं आती थीं। 13वीं शताब्दी से पहले शिलालेखों में रानियों के नाम का उल्लेख कम होता था, जिसके चलते हाड़ी करमेती, पन्नाधाय और मीरा का नाम भी नहीं है और इसी तरह पद्मिनी का भी नहीं। पद्मिनी मेवाड़ के राजा रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। बताया जाता है कि,उस समय के एक जैन तांत्रिक राघव चेतन, जो देहली दरबार से सम्मानित था, ने पद्मिनी की सुंदरता के विषय में देहली के तत्कालीन शासक अलाउद्दीन खिलजी को बताया था। इसके बाद खिलजी इतना मोहित हो गया कि उसने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया। पद्मिनी को पाने की चाहत में उसने करीब 6 महीने तक चित्तौड़गढ़ के किले के चारों ओर डेरा डाले रखा। उसने धोखे से रतन सिंह को बंदी बनाया और पद्मिनी को मांगा, परंतु पद्मिनी ने इसकी जगह जौहर कर लिया। उनके साथ 16000 अन्य महिलाओं ने भी जौहर कर लिया था।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App