फैसला सही नहीं…हिमाचल के लिए फिर सोचे एनजीटी

By: Nov 21st, 2017 12:05 am

जंगल और पहाड़ ही अब हिमाचल के लिए परेशानी बन रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी हिमाचल को भटका दिया है। पेड़ काटने पर सीधा जुर्माना, अढ़ाई मंजिला से ज्यादा मकान बनाने पर रोक, एनएच के किनारे भवन बनाने पर रोक, ये ऐसे निर्देश हैं, जो की पेशानी पर पसीना ला रहे हैं, यह समझ से परे है, जबकि यहां पर न तो जंगलों की कमी है और न ही दिल्ली की तरह आवोहवा जहरीली है। उल्टा यहां पर जंगलों का लगातार विस्तार हो रहा है, जिसकी वजह से विकास नहीं हो रहा है। अब नए आदेशों से आम आदमी भी परेशान हो गया है। प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ने लोगों की राय जानी तो कुछ यूं आया सामने…

एनजीटी से बढ़ेंगी दिक्कतें

नवजोत शर्मा का कहना है कि पर्यावरण को बचाने के नाम पर एनजीटी ने पेड़ों के कटान पर जो रोक लगाई है उससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की दिक्कतें काफी बढ़ जाएंगी। कई बार घरों के आसपास खतरा बने पेड़ों को काटना सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी होता है। ऐसे में अगर पेड़ों की वजह से कोई जान माल का नुकसान हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा।

पर्यावरण को एनजीटी लाजिमी

राजेश कुमार के मुताबिक पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों का बचाना बहुत जरूरी है। एनजीटी को दूसरे पहलू पर भी विचार करना चाहिए। अगर पेड़ कटान को लेकर सख्त नियम बना दिए गए तो प्रदेश में विकास कार्य बुरी तरह से प्रभावित होंगे।

लकड़ी पर आश्रित ग्रामीण

राजकुमार ने एनजीटी के इस फैसले को पूरी तरह से गलत बताया है। उनका कहना है कि हिमाचल में अधिकतर आबादी जंगलों व पेड़ों के साथ ही रहती है। ऐसे में लोगों को छोटी-मोटी जरूरतों के लिए पेड़ों से लकड़ी की जरूरत पड़ती है। चाहे मकान बनाना हो या विवाह शादियां करनी हो लकड़ी के बिना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

पेड़ों को हाथ लगाने से डरेंगे लोग 

रमन बन्याल का कहना है कि एनजीटी का फैसला समझ में नहीं आ रहा। बिना विचारे लिए गए इस फैसले के कारण ग्रामीण अपनी जमीनों पर लगे पेड़ों का भी इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए लकड़ी को भी लोग मोहताज हो जाएंगे पांच लाख के जुर्माने के डर से लोग पेड़ों को हाथ लगाने से भी डरेंगे।

सड़क किनारे झुके पेड़ बने खतरा

विवेक शर्मा के मुताबिक बड़सर क्षेत्र में  लोगों के मकान चीड़ के जंगलों के बिलकुल आसपास हैं। सड़क किनारे भी कई पेड़ हादसों को न्योता देते रहते हैं, लेकिन एनजीटी ने शायद इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है। उनका कहना है कि पेड़ों को बचाना उचित है, लेकिन लोगों को पेश आने वाली परेशानियों के बारे में भी संबंधित विभाग को विचार करना चाहिए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App