बंदरों ने छुड़वाई खेतीबाड़ी

By: Nov 22nd, 2017 12:05 am

 भटेहड़वासा — कई सरकारें आईं और कई चली गईं, लेकिन खुरापाती बंदरों से निजात दिलवाने के वादे खोखले ही नजर आ रहे हैं। देव रूप में पूजनीय हनुमान जी सेना परेशानी का सबब बन चुकी है, लेकिन बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए सिवाए कोरे आश्वासनों के कुछ नहीं किया है। बंदरों की उजाड़ के कारण लोगों ने खेतीबाड़ी करनी छेड़ दी हैं, जिस कारण उपजाऊ जमीन बंजर होती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि अन्नदाता जमीनें होते हुए भी आनाज खरीद कर खाने को मजबूर हैं। अगर बात करें हरिपुर के साथ लगते गांवें गुलेर, गठूतर, उपरेट, भटेहड़ वासा, मेहवा राहण की तो यहां सैकड़ों की तादाद में खुरपाती बंदर दिन-रात यहीं डेरा जमाए रहते हैं। यहां बंदरों से तंग आकर किसान खेतीबाड़ी छोड़ चुके हैं। अभिभावक भी बच्चों को अकेला स्कूल भेजने से कतराते हैं। यही नहीं महिलाएं व छोटे बच्चे भी घरों में असुरक्षित महसूस करते हैं। इलाके में आज तक ये बंदर कई लोगों को जख्म दे चुके हैं, जो किसान थोड़ी-बहुत खेती कर रहे हैं, वे भी धीरे-धीरे खेती छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं, क्योंकि दिन में आवारा पशु और रात को जंगली जानवर फसलों को चट कर जाते हैं, लेकिन न तो सरकार के दिशा-निर्देशों के बावजूद पंचायतें गोसदन तक नहीं बनवा पाई हैं और न ही सरकार बंदरों की समस्या से निजात दिलवाने के लिए कोई ठोस कदम उठा पाई है। स्थानीय लोगों ने वन विभाग व सरकार से गुहार लगाई है कि बंदरों की समस्या से निजात दिलाई जाए, ताकि समस्या से निजात मिल सके।


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