भारत का इतिहास

By: Nov 15th, 2017 12:03 am

परामर्श समिति के गठन का संकल्प

गतांक से आगे-

संविधान सभा का पहला अधिवेशन 9 दिसंबर, 1946 से 23 दिसंबर, 1946 तक हुआ। पहले दिन अस्थायी सभापति का भाषण हुआ, शुभकामना संदेश पढ़े गए तथा सदस्यों ने अपने प्रत्यय पत्र उपस्थित किए और रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए। अगले दिन, 10 दिसंबर को स्थायी सभापति के निर्वाचन की विधि निश्चित की गई। संविधान सभा के अपने प्रक्रिया नियम बनने तक काम चलाने के  लिए केंद्रीय विधानसभा के नियमों को आवश्यक संशोधनों के साथ लागू किए जाने का निश्चय किया गया तथा एक अन्य प्रस्ताव द्वारा एक प्रक्रिया नियम समिति भी बनाई गई। 11 दिसंबर को डा. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के निर्विरोध सभापति निर्वाचित हुए। इसी दिन प्रक्रिया नियम समिति के 15 सदस्यों को निर्वाचित घोषित किया गया। 12 दिसंबर से 19 दिसंबर तक संविधान सभा ने पंडित नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव पर विचार किया। 21 दिसंबर को प्रस्ताव पर आगे विचार आगामी अधिवेशनों के लिए स्थगित कर दिया गया। किंतु, इसी दिन संविधान सभा ने देशी रियासतों के नरेश मंडल की वार्ता-समिति से बातचीत करने के लिए अपनी एक वार्ता समिति बनाई तथा प्रक्रिया नियम समिति के प्रतिवेदन पर विचार किया। 23 दिसंबर को संविधान सभा के कार्य संचालन के लिए प्रक्रिया संबंधी नियम स्वीकार  किए गए और नए नियमों के अंतर्गत सभा ने प्रत्यय पत्र समिति  आवास समिति (हाउस कमेटी) और वित्त तथा कर्मचारी समिति (फाइनांस एंड स्टाफ कमेटी) के सदस्यों के निर्वाचन किए। इसके बाद अधिवेशन 20 जनवरी 1947 तक के लिए स्थगित हो गया।

दूसरा अधिवेशन : समितियों का निर्वाचन

संविधान सभा की प्रारंभिक बैठक के दूसरे अधिवेशन के पहले दिन सदन ने एक संचालन समिति के निर्वाचन का निर्णय किया। संचालन समिति का काम कार्यसूची का निर्धारण करना तथा सभा, अनुभागों, समितियों और अध्यक्ष के लिए व्यापक संपर्क साधन के रूप में कार्य करना था। अगले दिन समिति के ग्यारह सदस्य निर्वाचित किए गए। 22 जनवरी, 1947 को सदन ने उद्देश्य प्रस्ताव स्वीकार किया। उद्देश्य प्रस्ताव को सदस्यों ने खड़े होकर बड़ी गंभीरतापूर्वक स्वीकार किया। 24 जनवरी, 1947 को संविधान सभा ने एक उपाध्यक्ष निर्वाचित करने का संकल्प किया और अगले दिन डा. एचसी मुकर्र्जी को इस पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित कर लिया गया है। 24 जनवरी को ही सभा ने 1946-47 के वर्षों के लिए  प्राक्कलित व्यय पर अपनी स्वीकृति दी। यह बजट स्टाफ तथा वित्त समिति ने तैयार किया था और  संपूर्ण सदन की समिति उस पर पहले ही विचार कर चुकी थी। उसी दिन सभा ने मंत्रिमंडल मिशन के 16 मई, 1946 के वक्तव्य के अनुसरण में एक परामर्श समिति के गठन का संकल्प किया। समिति को मूल अधिकारों की सूची, अल्पसंख्यकों की रक्षा संबंधी धाराओं और कबायली तथा वर्जित क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में रिपोर्ट देनी थी।


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