ये बाप-बेटा किसके पाले में खड़े होंगे

By: Nov 18th, 2017 12:05 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं

फारूख अब्दुल्ला ने पिछले दिनों कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर किसी के बाप का नहीं है। वह पाकिस्तान का ही है और उसी का रहेगा। वैसे फारूख अब्दुल्ला से पूछा जा सकता है कि आपका पाकिस्तान के साथ क्या रिश्ता है? पाकिस्तान को लेकर आपके गाल लाल क्यों हो जाते हैं? बहुत से लोग मानते हैं कि पाकिस्तान ने जो हिस्सा जम्मू-कश्मीर राज्य का हड़प कर लिया था, उसको वापस न लिया जाए। इसमें शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का भी हाथ है, क्योंकि पाकिस्तान के पास कश्मीर घाटी का तो कोई भी भाग नहीं है। उसके पास तो जम्मू के पंजाबी भाषी हिस्से हैं…

जम्मू-कश्मीर की बात होगी, तो शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के परिवार की बात जरूर आएगी। न भी आए तो इस परिवार के कुछ सदस्य स्वयं ही इस प्रकार की हरकतें शुरू कर देंगे, ताकि राह चलते लोग खड़े हो जाएं और उनकी मजेदार बातें सुनने लगें। जम्मू-कश्मीर में जो अनेक समस्याएं हैं, उन पर किस-किस से बात करनी चाहिए, इसको लेकर भी विवाद चलता रहता है। कुछ साल पहले लोग सोचते थे कि नेशनल कान्फ्रेंस से तो बात करनी ही चाहिए। प्रदेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और इतने साल बाद भी एक ही परिवार के शिकंजे में फंसी हुई है, तो आखिर इसमें कोई न कोई बात तो होगी ही। कश्मीर घाटी की जनता में इसकी जड़ें गहरी धंसी होंगी, तभी तो अब तक भी अहमियत बनी हुई है। फिर शेख अब्दुल्ला परिवार का कुनबा भी अब काफी फैल गया है, लेकिन पिछले कुछ अरसे से यह कुनबा और कुनबे की पार्टी भी कश्मीर घाटी की सियासत में अप्रासांगिक होती जा रही है। श्रीनगर में टैक्सी चला रहा ड्राइवर भी कह देता है, अब इस कुनबे के हाथ पल्ले कुछ नहीं है। बात करनी है तो उनसे करनी चाहिए, जो मैटर करते हैं। यानी अब यह कुनबा कश्मीर में मैटर नहीं करता। जम्मू और लद्दाख में तो यह पहले भी कभी मैटर नहीं करता था। इसके बावजूद कोई राजनीति में है, तो आखिर उसे मैटर तो करना ही चाहिए। कश्मीर घाटी में समस्या चाहे जो भी हो, लेकिन शेख के कुनबे की आजकल मैटर करने की ही समस्या है। शेख अब्दुल्ला के फरजंद फारूख अब्दुल्ला अब मैटर करने के लिए तरह-तरह की हरकतें कर रहे हैं।

पिछले दिनों उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर किसी के बाप का नहीं है। वह पाकिस्तान का ही है और उसी का रहेगा। बाप शब्द का प्रयोग वह भारत को समझाने के लिए कर रहे थे। वह समझा रहे थे कि भारत में जो हर चौथे दिन कोई न कोई उठ कर कह देता है कि पाकिस्तान द्वारा कब्जाया हुआ जम्मू-कश्मीर भी भारत का हिस्सा है, वह पाकिस्तान का है, तुम्हारे बाप का नहीं है। ऐसी भाषा सुनकर श्रीनगर के अमीराकदल पर चलते हुए लोग भी एक बारगी तो रुकेंगे ही। भीड़ जमा होगी। फारूख अब्दुल्ला को आज इसी भीड़ की सख्त जरूरत है। राजनीतिक नेता की यही मजबूरी है। उसे भीड़ चाहिए। उसे मीडिया चाहिए। भीड़ तब होती है, जब कोई तमाशा करता है और मीडिया तब छापता है, जब तमाशा बड़ा होता है। या फिर आदमी बड़ा होता है और हरकतें बचकानी करता है। बड़ा होने का मतलब अक्ल या उम्र से नहीं है। बड़ा होने का मतलब रुतबे का बड़ा होना है। इतना तो सभी मानेंगे कि फारूख अब्दुल्ला राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, केंद्रीय मंत्री रहे हैं, अभी भी कुछेक हजार वोट लेकर लोकसभा में भी बैठे हैं, तो रुतबे से बड़े तो हुए ही। अब तेज रफ्तार दुनिया का मीडिया केवल बड़े होने पर नहीं मरता। वह हरकत चाहता है, तो लो भाई फारूख अब्दुल्ला ने हरकत भी कर दी। जम्मू-कश्मीर तुम्हारे बाप का नहीं है। ऐसा वहम इनके पिता श्री महरूम शेख अब्दुल्ला को भी हो गया था। वह अपने आपको ही कश्मीर घाटी का बाप मानने लगे थे। आज उनकी कब्र की रक्षा के लिए राज्य सरकार को पुलिस तैनात करनी पड़ती है। वैसे फारूख अब्दुल्ला से पूछा जा सकता है कि आपका पाकिस्तान के साथ क्या रिश्ता है? पाकिस्तान को लेकर आपके गाल लाल क्यों हो जाते हैं?

बहुत से लोग मानते हैं कि पाकिस्तान ने जो हिस्सा जम्मू-कश्मीर राज्य का हड़प कर लिया था, उसको वापस न लिया जाए। इसमें शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का भी हाथ है, क्योंकि पाकिस्तान के पास कश्मीर घाटी का तो कोई भी भाग नहीं है। उसके पास तो जम्मू के पंजाबी भाषी हिस्से हैं। इन क्षेत्रों के लोग शुरू से ही शेख के खिलाफ थे। इसलिए शेख नहीं चाहते थे कि ये हिस्से वापस भारत में आएं, क्योंकि लोकतांत्रिक भारत में सत्ता लोगों द्वारा ही दी जाती है। इसलिए शेख नहीं चाहते थे कि उनका विरोध करने वाले राज्य का हिस्सा बने रहें। हो सकता वह अगले चुनावों में शेख का बोरिया बिस्तर ही साफ कर देते। शेख तेज थे और आने वाले खतरे को पहले ही भाप लेते थे। पाकिस्तान के कब्जे में गिलगित-बल्तीस्तान है। वह सारा इलाका शेख के खिलाफ था। रही बात मुज्जफराबाद की, जिसे भूगोल के लिहाज से कश्मीर घाटी का हिस्सा माना जा सकता है, लेकिन वहां कश्मीरी नहीं, बल्कि पंजाबी रहते थे। और पाकिस्तानी आक्रमण के बाद वहां के हिंदू, सिख और पंजाबी श्रीनगर आए, तो शेख साहब ने उनको वहां टिकने नहीं दिया और जम्मू की ओर रुखसत कर दिया। इस तरह पाकिस्तान द्वारा कब्जाए जम्मू-कश्मीर के बारे में फारूख ही किस अधिकार से उसके बाप की शिनाख्त कर रहे हैं।

गिलगित-बल्तीस्तान के लोग पाकिस्तान के चंगुल से निकलने के लिए छटपटा रहे हैं और फारूख अब्दुल्ला उनको पाकिस्तान के चंगुल में धकेलना चाहते हैं। पाकिस्तान ने वहां निर्माण कार्य करने के बहाने चीनी सेना को बिठा रखा है, जो बल्तियों और दरदों का दमन कर रही है। फारूख साहब उनको फिर भी पाकिस्तान में ही बने रहने की सलाह दे रहे हैं। फारूख अब्दुल्ला के इस मसखरेपन से कुछ देर मीडिया का भी और लोगों का भी ध्यान गया और मामला  फिर उसी पुराने ढर्रे पर लौट आया। अब्दुल्ला परिवार को घाटी में यह मुफीद नहीं बैठता। वहां सबके आकर्षण और चर्चा का केंद्र यही परिवार बना रहना चाहिए। इसलिए अब फारूख अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला अमीराकदल भी छंट रही भीड़ के सामने नमूदार हुए हैं। बोल जमूरे। उमर बोले, यदि हिम्मत है तो पाकिस्तान से छीन कर दिखाओ वह इलाका। कर दो हमारे बाप को झूठा। है इतनी हिम्मत! बात उमर ने पते की कही है, लेकिन एक प्रश्न का उत्तर तो बाप बेटे को भी देना ही होगा। यदि सचमुच इस काम के लिए लड़ाई होती है, तो ये बाप-बेटा किसके साथ होंगे? भारत के साथ या पाकिस्तान के साथ? या फिर तटस्थ खड़े रहेंगे और जो जीत गया, उसी के साथ हो लेंगे?

ई-मेल : kuldeepagnihotri@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App