विरोध या गुंडागर्दी
(पुष्पांकर पीयूष, धर्मशाला )
कुछ महीनों से फिल्म पद्मावती को लेकर एक छोटे से संगठन राजपूत करणी सेना ने बड़ा बवाल मचाया हुआ है। उनका कहना है कि फिल्म में इतिहास के पक्षों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की गई है। हालांकि इसका उन्हें बस अंदाजा भर है। हकीकत क्या है यह तो फिल्म प्रदर्शित होने के बाद ही पता चलेगा, परंतु उनके द्वारा राजस्थान में फिल्म की शूटिंग के दौरान की गई गुंडागर्दी को कतई विरोध प्रदर्शन का तरीका नहीं माना जा सकता। उनका इस गुंडागर्दी के कारण फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को चोट पहुंची, फिल्म सेट के जलने से करोड़ों का नुकसान हुआ तथा राज्य सरकार राजस्थान की टूरिज्म नीति पर भी बुरा असर पड़ा। फिल्म पर मचे बवाल को लेकर भंसाली ने कहा कि फिल्म में कोई भी आपत्तिजनक दृश्य दर्शाए नहीं गए हैं। अगर ऐसा है, तो भी विरोध का पैमाना गुंडागर्दी तो कतई नहीं हो सकता। अगर किसी को विरोध करना भी है, तो इस देश में न्यायपालिका मौजूद है, जहां कोई भी अपना पक्ष या विरोध जताने के लिए स्वतंत्र है। अब जब फिल्म रिलीज के कगार पर पहुंच चुकी है, राजपूत करणी सेना द्वारा यह कहना कि अगर फिल्म रिलीज होती है तो सिनेमाघरों को जला दिया जाएगा, काफी निंदनीय और शर्मिंदगी से भरा बयान है। राजपूत शब्द की आड़ लेकर कोई भी इस देश में असंवैधानिक, असामाजिक और अनैतिक कृत्यों को अंजाम नहीं दे सकता।
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