विस्थापितों को समझा हमेशा ही वोट बैंक

By: Nov 20th, 2017 12:05 am

बिलासपुर — आज तक भाखड़ा विस्थापितों का सही ढंग से बसाव नहीं हो सका है। विस्थापित महज राजनीति का ही शिकार होते रहे हैं। उन्हें कभी घोषणाओं तो कभी दावों और वादों के बीच छला गया। राजनेताओं ने भी विस्थापितों के नाम पर राजनीति ही की और मात्र वोट बैंक समझते हुए अपने हित साधे हैं, जबकि सही मायने में विस्थापितों के हित के लिए किया धरा कुछ भी नहीं। दशकों से विस्थापित सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। भाखड़ा विस्थापित समिति के प्रवक्ता राम सिंह ने रविवार को यहां यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब कुछ मुट्ठी भर लोग विस्थापितों के विवश होकर किए गए सरकारी सरकारी कब्जों को शहर की खूबसूरती बिगाड़ने के लिए उत्तरदायी ठहरा रहे हैं लेकिन यह बात सही नहीं है। उन्होंने कहा कि शहर की खूबसूरती विस्थापितों ने नहीं बल्कि उन कुछ लोगों ने बिगाड़ी है जिन्होंने बहुत कम राशि देकर भाखड़ा विस्थापितों की निर्धनता का फायदा उठाते हुए उनके प्लाटों पर अपने आलिशान भवन खड़े कर लिए हैं और उनके परिवारों को सड़कों पर खाक छानने के लिए विवश कर दिया। राम सिंह ने कहा कि कुछ नौकरी पेशा लोगों ने पहले तो धन बल पर निर्धन विस्थापितों के प्लाट खरीद लिए और फिर उनके मालिकाना हक पाने के लिए सरकार और प्रशासन को गुमराह करके और कुछ सत्ताधारी नेताओं के साथ मिल कर विस्थापितों के प्लाटों  की लीज को खत्म करने का घिनौना और विस्थापित विरोधी षड्यंत्र रचा, ताकि उन पर प्रतिवर्ष लगने वाले टैक्स से छुटकारा मिल सके।  राम सिंह ने कहा कि भाखड़ा बांध देश का सबसे बड़ा और पहला ऐसा बांध था। इसके लिए बिलासपुर के लोगों ने बहुत बड़ा बलिदान देते हुए अपनी पुश्तैनी भूमि और घर बार बिना किसी विरोध के सरकार को देश हित के लिए सौंप दिए थे। उन्होंने कहा कि उस समय विस्थापितों को बहुत कम मुआवजा दिया गया था जिस कारण वे आज तक अपना बसाव तक नहीं कर पाए हैं। उस समय तत्कालीन प्रधान मंत्री ने आश्वासन दिया था कि विस्थापितों को इतनी सुविधाएं और लाभ दिए जाएंगे कि वे अपने उजड़ने का दर्द भूल जायेंगे, लेकिन बाद में ऐसा कुछ हुआ नहीं। अभी तक भी अपने उचित बसाव की निरंतर मांग कर रहे विस्थापित सरकार से आवश्यक राहत पाए जाने की आशा लगाए बैठे हैं। हर विधान सभा चुनाव से ठीक पहले हर राजनैतिक दल उनके बसाव के झांसे देकर बोट बैंक प्राप्त करके सत्ता के सिंहासन पर विराज मान हो जाते हैं लेकिन बाद में उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं होता। राम सिंह ने उन भाखड़ा विस्थापित विरोधी लोगों से आग्रह किया है कि वे अपने निजी स्वार्थों के लिए विस्थापितों के हितों से खिलवाड़ न करें और अनर्गल ब्यान देना बंद करें अन्यथा उन्हें विस्थापितों के विरोध का सामना करना पड़ेगा। राम सिंह ने सरकार से मांग की कि उनके बसाव के लिए उचित कदम उठाए जाएं और किए गए सभी कब्जों को नियमित किया जाए।


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