शत-प्रतिशत हो मतदान

By: Nov 8th, 2017 12:02 am

आशीष बहल

लेखक, चुवाड़ी, चंबा से हैं

यकीन मानिए हम उसी दिन अपने मत की असली कीमत समझ पाएंगे, जब हम समाज हित को मतदान के साथ जोड़ेंगे। अब्राहम लिंकन  ने बहुत खूबसूरत बात कही थी कि ‘बैलेट, बुलेट से ज्यादा ताकतवर है’। इसी सिद्धांत से लोकतंत्र को प्राण मिलते हैं। भारत के संविधान में सबसे मजबूत अधिकार अगर हमें कुछ मिला है तो वह है, मत देने का अधिकार। मतदान की अहमियत समझना और समझाना दोनों ही आवश्यक है। ऐसा देखा गया है कि सामन्यतः लोग मतदान की तरफ अधिक रुचि नहीं दिखाते। इसी वजह से लोकतंत्र में शत-प्रतिशत मतदान नहीं हो पाता। सबसे पहले इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि मतदान से क्या हासिल होगा। मतदान लोकतंत्र की संजीवनी है। लोकतंत्र की सबसे सटीक परिभाषा अमरीका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के इन शब्दों में मिलती है, ‘लोगों का, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए शासन’। इससे  पूरी तरह से साफ होता है कि मतदान के द्वारा हम खुद के लिए शासक चुनते हैं, जो हमारे द्वारा और हमारे ही बीच का व्यक्ति होता है। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। यहां हर नागरिक को मौका मिलता है आगे आने का, शासन करने का। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारे देश का लोकतंत्र कई देशों के लिए पहेली है।

दुनिया आज तक इस बात को समझ नहीं पाई कि इतनी विषमताओं के बावजूद भारत लोकशाही इतनी मजबूत और अटूट कैसे है? भारत लोकतंत्र की कामयाबी की एक मिसाल है और इसका श्रेय हमारे देश के महान विचारकों, संविधान निर्माताओं को जाता है, जिन्होंने मताधिकार के द्वारा लोगों के हाथों में एक ऐसा औजार दिया जिससे भारत का मतदाता भारत के लोकतंत्र को सही रूप देता है। भारत के लोकतंत्र में ही ऐसे उदाहरण मिलते हैं, जहां एक गरीब किसान के बेटे से लेकर, गरीब चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है। एक अखबार बेचने वाला राष्ट्रपति बन सकता है। सिर्फ और सिर्फ इसलिए, क्योंकि हमें मत के द्वारा अपना नेता चुनने का अधिकार मिला है। भारत में मतदान को एक पर्व की तरह मनाया जाता है, लोगों को अधिक से अधिक मतदान के लिए प्रेरित किया जाता है, क्योंकि मतदान के बल पर ही लोकतंत्र की खूबसूरती बरकरार रह पाएगी। कल नौ नवंबर को हिमाचल अपने लोकतंत्र की एक और इबारत लिखेगा। हिमाचल के लिए फख्र की बात है कि देश के पहले वोटर के रूप में मास्टर श्याम सरण नेगी हिमाचल से संबंधित हैं और भारत निर्वाचन आयोग के ब्रांड एंबेसेडर हैं, जो लोगों को मतदान के लिए जागरूक करते हुए देखे जाते हैं। इस पहाड़ी राज्य में लोग जागरूक हैं, परंतु ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र अधिक होने के कारण कई बातों के प्रचार और प्रसार में दिक्कत आती है। हिमाचल प्रदेश भारत के संपन्न राज्यों की श्रेणी में आता है।

हिमाचल के मतदाता को आज प्रदेश की उन्नति के लिए मतदान करने आगे आना होगा। हिमाचल की कुछ विशेष आवश्यकताएं हैं, जैसे इस पहाड़ी राज्य को आदर्श पहाड़ी राज्य में कैसे बदला जाए? हिमाचल को हमेशा से ही पर्यटन राज्य के रूप में देखा और पेश किया जाता है। हर नेता या मंत्री चाहे किसी भी दल का हो, अपने भाषण में हिमाचल के पर्यटन के प्रचार और प्रसार की बड़ी-बड़ी बातें करता है, परंतु आज भी हिमाचल की पर्यटन की दृष्टि से कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हाथ नहीं लगी। मतदाता को इसलिए भी मतदान करना होगा कि हिमाचल में पर्यटन का विकास कैसे हो? हिमाचल गांव में वसा राज्य है, इसलिए गांव स्वावलंबी कैसे बने? हिमाचल में आईटी कंपनियां या औद्योगिक क्षेत्र बहुत कम हैं। इसके कारण यहां का पढ़ा-लिखा और हुनरमंद युवा बाहरी राज्यों को पलायन कर रहा है, जो हिमाचल के लिए एक चिंता का विषय है। हिमाचल में पिछले 2 विधानसभा चुनावों में लगभग 70.74 प्रतिशत के करीब मतदान हुआ है। इस बार यह आंकड़ा बढ़ सकता है और यह लोकतंत्र के लिए आवश्यक भी है। हम सबका दायित्व है कि अधिक से अधिक लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करें। हम मत का सही प्रयोग करके अपने समाज के लिए और क्षेत्र की दिशा और दशा निर्धारित करते हैं, इसलिए मत का प्रयोग सोच समझ कर करना अति आवश्यक है।


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