शिक्षकों की एमफिल पीएचडी इन्क्रीमेंट बंद

By: Nov 6th, 2017 12:15 am

शिमला  – प्रदेश के विश्वविद्यालयोें सहित महाविद्यालयों में पढ़ाने वाले पीएचडी व एमफिल डिग्रीधारक प्राध्यापकों की उम्मीदों पर प्रदेश सरकार के बाद अब विश्ववविद्यालय अनुदान आयोग ने भी पानी फेर दिया है। आयोग की ओर से विश्वविद्यालयों सहित प्रदेश के कालेजों में नियुक्त एमफिल, पीएचडी शिक्षकों को मिलने वाली एडवांस इन्क्रीमेंट को ही खत्म कर दिया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मानते हुए आयोग की ओर से प्राध्यापकों की पीएचडी व एमफिल इन्क्रीमेंट समाप्त करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश सरकार ने हालांकि वर्ष 2014 में ही प्रदेश के शिक्षकों को यूजीसी के नियमों के तहत जारी होने वाली इन्क्रीमेंट का लाभ देना बंद कर दिया था। इसके बंद होने के बाद विश्वविद्यालय के दो शिक्षक संघ हपुटा और हपुटवा सहित प्रदेश कालेज प्राध्यापक संघ ने विरोेध जताया था। संघ लगातार सरकार से यूजीसी के नियमों के तहत एमफिल-पीएचडी धारकों की इन्क्रीमेंट पुनः बहाल करने की मांग कर रहा था। इनकी मांग पर राज्य सरकार दोबारा से इन्क्रीमेंट देने पर विचार भी कर रही थी। इसके लिए सर्कुलर भी जारी किया गया था और शिक्षा विभाग से जवाब भी मांगा गया था, लेकिन अब सातवें वेतन आयोग को लागू करने की सिफारिशों के तहत यूजीसी ने ही पीएचडी-एमफिल धारकों को इन्क्रीमेंट देने से इनकार कर दिया है। इस फैसले  से शिक्षकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। आयोग के इस फैसले का शिक्षक विरोध जता रहे हैं। एचपीयू हपुटवा संघ के संयुक्त सचिव प्रो. जोगेंद्र सकलानी का कहना है कि एमफिल, पीएचडी शिक्षकों की इन्क्रीमेंट को समाप्त करने के फैसले से शोध के स्तर पर प्रभाव पडे़गा और इसे देखते हुए यह फैसला गलत है। यूजीसी की ओर से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस अधिसूचना में कालेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों के असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर सहित विवि, कालेजों के लाइब्रेरियन के विभिन्न पदों, निदेशक शारीरिक शिक्षा और कालेज और यूनिवर्सिटी  खेल पदों,  सभी विवि के कुलपति, प्रति कुलपति और कालेज प्राचार्यों के लिए संशोधित वेतन की सिफारिशें  की गई हैं। इसके साथ ही इन्सेंटिव, इन्क्रीमेंट, प्रोमोशन व अन्य भत्तों को लेकर भी संशोधित नियमों की अधिसूचना जारी की गई है।

पढ़ाई के लिए मिलती थी मदद

यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक वर्ष 1986 से प्रवक्ताओं को पीएचडी व एमफिल की डिग्री प्राप्त करने पर बेसिक-पे व डीए पर तीन-तीन प्रतिशत की पांच व दो मर्तबा तीन प्रतिशत इन्क्रीमेंट मिलती है, ताकि शिक्षक को पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहन मिलता रहे। कालेज शिक्षकों को इस इन्क्रीमेंट के तहत 7500 रुपए स्पेशल इन्क्रीमेंट मिलती थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है।

रिसर्च का स्तर गिरेगा

एमफिल-पीएचडी की इन्क्रीमेंट उच्च शिक्षा के स्तर और शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसके तहत शिक्षण संस्थानों में एमफिल और पीएचडी शिक्षकों की भर्ती हो रही थी और शिक्षक एमफिल, पीएचडी कर रहे थे, लेकिन अब इन्क्रीमेंट समाप्त होने से एमफिल, पीएचडी करने वालों की संख्या कम होगी और शोध का स्तर सुधरने के बजाय गिरेगा।


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