स्वच्छता मिशन पर दाग

By: Nov 18th, 2017 12:02 am

(देव गुलेरिया, योल कैंप, धर्मशाला )

नए स्वच्छ-स्वस्थ भारत के सपने को साकार करने के लिए सभी राज्यों के सहयोग से केंद्र सरकार दो वर्षों से आवश्यक कदम उठा रही है। कई सम्मेलनों, कार्यशालाओं और भाषणों द्वारा लोगों को जागरूक करने हेतु कई प्रयत्न किए जा रहे हैं। इस सबके इतर उत्तर प्रदेश के एक गांव की शर्मनाक तस्वीर मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई है। यहां आज भी गांव में इनसान के मल-मूत्र को उठाने के लिए दलित महिलाओं से काम लिया जाता है, जबकि सरकार ने मैला सिर पर ढोने के लिए बाकायदा प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद ये महिलाएं आज भी इनसान का मल-मूत्र सिर पर ढोने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास रोजी-रोटी कमाने के लिए कोई अन्य साधन नहीं है। क्या उस प्रदेश का शासन या प्रशासन इस समस्या से अनभिज्ञ है? वहां की पंचायत ने इस प्रथा को रोकने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए? क्या उस गांव के लोग इस स्वच्छता आंदोलन से अनभिज्ञ हैं? क्या सरकार के प्रयत्न इसके प्रति इतने कमजोर हैं? स्वच्छता की गरिमामय परिपाटी को अपनाने में देश की जनता को और कितने वर्ष लगेंगे? अतः जनता से अनुरोध है कि सरकार के इस मिशन को समझकर इसके प्रति जागरूकता फैलाएं और पूज्य बापू और सरकार के इस सपने को साकार करने में अपना पूर्ण सहयोग करें। पंचायतों की भूमिका इसमें काफी सार्थक सिद्ध हो सकती है। मीडिया को भी इसी तरह अपना दायित्व निभाकर ऐसे संवेदनशील मुद्दों को उठाकर अपना योगदान देते रहना होगा। क्या हम ऐसी शर्मनाक प्रथाओं के प्रति अपनी मानसिकता बदल पाने में समर्थ हो पाएंगे? इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढकर ही हम अपना भविष्य निर्धारित कर पाएंगे।


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