हमीरपुर… एंबुलेंस भूल जाओ, लाश निकालना भी मुश्किल

By: Nov 22nd, 2017 12:05 am

 हमीरपुर  — हमीरपुर शहर में शायद ही ऐसी कोई गली होगी जहां मौजूदा समय में 108 एंबुलेंस की सेवा लोगों को मिल पाती हो। अधिकतर गलियों के तंग होने से एंबुलेंस गली के अंदर नहीं जा पाती। मरीजों को कंधों पर उठाकर, कुर्सी पर बिठाकर या दोपहिया वाहनों के जरिए गली के बाहर खड़ी एंबुलेंस तक पहुंचाया जाता है। यह समस्या सालों से शहर में बनी हुई है। बुद्धिजीवियों के अनुसार जैसे-जैसे शहर में भवनों का निर्माण बढ़ता गया वैसे ही हर वार्ड की गलियां व रास्ते तंग होते गए। विकास की तेज रफ्तार के बीच हमीरपुर शहर की गलियां केवल पैदल चलने लायक ही रहीं। आज भी कई ऐसी तंग गलियां हैं, जहां एंबुलेंस व छोटे वाहन तो दूर किसी की मृत्यु हो जाने पर शव को चार लोग एक साथ कंधा देकर गली से बाहर नहीं निकाल पाते। शव को बड़ी मुश्किल से गली से बाहर निकालकर श्मशानघाट तक पहुंचाया जाता है। इसमें शहर के वार्ड नंबर दो की श्याम गली सूची में सबसे ऊपर है। इस गली में न तो दोपहिया वाहन अंदर जा सकते है और न ही दो लोग एक साथ इसमें से अंदर प्रवेश कर पाते है। यदि अंदर जाते समय सामने से कोई और व्यक्ति आ जाए तो गली के तंग होने से एक को वापस हटना पड़ता है। मौजूदा समय में आलम यह है कि गली की दूसरी ओर रहने वाले लोगों का जीवन आज भी काफी चुनौतियों भरा है। नगर परिषद हमीरपुर के उपाध्यक्ष एवं वार्ड नंबर दो के पार्षद दीप बजाज बताते हैं कि शहर में टाउन प्लानिंग विभाग के खुलने से पहले अधिकतर वार्डों में भवनों का निर्माण कार्य धड़ाधड़ हो चुका था। निर्माण कार्य होने से वार्डों में तंग गलियों का जंजाल फैल चुका था। उन्होंने बताया कि बिना किसी प्लानिंग के हुए निर्माण से गलियां काफी तंग रह गईं, जिनमें आज न तो लोग ठीक से चल पाते है और न ही वाहन एंटर कर पाते है। हालांकि शहर में टाउन प्लानिंग विभाग खुलने के बाद हीरानगर व अणु सहित कुछ ऐसे क्षेत्र भी जहां प्लानिंग के तहत हुए निर्माण से खुली गलियां बनाई गई हैं। इन क्षेत्रों की गलियों में लोगों को 108 एंबुलेंस सेवा की सुविधा मिल पाती है। शहर की श्याम गली, राम गली, वाल्मीकी गली, कृष्णा गली, कैलाश गली, आदर्श गली, प्रभु गली, अंतरिक्ष मॉल गली, प्रताप गली, कश्मीरी गली व गुरुद्वारा गली सहित कई ऐसी गलियां है, जो एंबुलेंस की सेवा से वंचित हैं। इनमें छोटी एंबुलेंस सेवा शुरू करना भी काफी मुश्किल भरा है।

कृष्णा व वाल्मीकि गली सबसे तंग

वार्ड नंबर चार की पार्षद रीटा खन्ना ने बताया कि उनके वार्ड में भी तंग गलियों का जंजाल फैला हुआ है। वार्ड की कृष्णा व वाल्मीकि गली सबसे तंग है। यहां एंबुलेंस प्रवेश नहीं कर पाती है। इस वार्ड के बाशिंदे मरीजों को दोपहियां वाहनों के माध्यम से एंबुलेंस तक पहुंचा पाते हैं। लिहाजा शहर के जिन वार्डों की तंग गलियों में आज तक 108 एंबुलेंस प्रवेश नहीं कर पाई है, उनमें भविष्य में भी कोई नया विकल्प नहीं दिख रहा है। कुछ एक गलियां जहां छोटे चार पहिए वाहन वन वे गली में प्रवेश कर पाते है, उनमें ही छोटी एंबुलेंस की शुरुआत की जा सकती है।

छोटी एंबुलेंस तंग गलियों में नहीं होगी दाखिल

दीप बजाज ने बताया कि शहर के वार्ड नंबर दो, चार, पांच और छह की गलियां आज भी सबसे ज्यादा तंग हैं। ऐसे में इन तंग गलियों के लिए छोटी एंबुलेंस सेवा भी शुरू कर दी जाए, तो भी कोई फायदा नहीं होगा। छोटी एंबुलेंस तंग गलियों में प्रवेश नहीं कर पाएगी।


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