हर राजमार्ग किनारे हो शौचालय सुविधा

By: Nov 7th, 2017 12:02 am

नीलम सूद

लेखिका, पालमपुर से हैं

तमाम राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर सार्वजनिक शौचालयों का अभाव स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़ा वह मुद्दा है,  जो हमारे राजनीतिक दलों के लिए कोई खास मायने नहीं रखता। यही वजह है कि प्रतिदिन लाखों की संख्या में सफर करने वाली महिलाओं को विकट समस्या का सामना करना पड़ता है…

तमाम राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर सार्वजनिक शौचालयों का अभाव स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़ा वह मुद्दा है,  जो हमारे राजनीतिक दलों के लिए कोई खास मायने नहीं रखता। यही वजह है कि प्रतिदिन लाखों की संख्या में सफर करने वाली महिलाओं को विकट समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद आज दिन तक किसी राजनीतिक दल द्वारा इस मसले को तरजीह नहीं दी गई। सफर के दौरान पानी पीने से परहेज करना या लंबे समय तक पेशाब रोक कर बैठे रहना तो मानो महिलाओं की नियति बन चुका है, फिर चाहे उनके स्वास्थ्य पर इसका कितना ही विपरीत असर क्यों न पड़े! पुरुषों के लिए यह समस्या उतनी गंभीर नहीं, क्योंकि वे कहीं भी आसानी से लघुशंका से निवृत्त हो जाते हैं। स्वच्छ भारत मिशन पर एक बदनुमा दाग की तरह चिपकी इस समस्या के समाधान हेतु न कभी कोई प्रयास हुआ और न ही  प्रभावकारी ढंग से कोई आवाज उठी। हालांकि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के दखल के बाद चंडीगढ़-शिमला राजमार्ग पर सुलभ शौचालयों का निर्माण तो हुआ, परंतु उचित रखरखाव के अभाव एवं वहां पसरी गंदगी की वजह से अधिकांश महिलाएं उनमें जाने से कतराती हैं, ताकि वे किसी प्रकार के  संक्रमण का शिकार न हो जाएं।

महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन कर  महिला सशक्तिकरण का नारा देने वाले तमाम राजनीतिक दलों से  सवाल करना तो बनता है कि कब तक महिलाओं की संवेदनाओं पर प्रहार कर उन्हें अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने हेतु विभिन्न सुविधाएं देने का ढिंढोरा पीटते रहेंगे? आज महिलाएं अपने दम पर हर क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल करने में सक्षम हैं, परंतु सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के अभाव में अपने आत्म-सम्मान को बनाए रखने के लिए कितनी जटिल परिस्थितियों का सामना करने पर मजबूर हैं, शायद ही सरकारी हुक्मरानों को यह अंदाजा हो। चंडीगढ़ से धर्मशाला व हिमाचल के तमाम शहरों से शिमला तक जाने वाली सड़कों पर कहीं भी साफ-सुथरे शौचालय की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण न केवल हिमाचली महिलाओं, अपितु पर्यटकों का भी इस समस्या से दो चार होना किसी सरकार के ध्यानार्थ आज दिन तक नहीं आया। ऊपर से हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों एवं बढ़ती जनसंख्या ने महिलाओं के लिए इस समस्या को और भी विकराल बना दिया है। अपने सम्मान की खातिर महिलाएं सफर के दौरान  लघुशंका से निवृत्त होने के लिए  सड़क से दूर किसी ढाक का रुख करती हैं। पांव फिसलने से गहरी खाई में समा जाने का खतरा भी मोल लेती हैं, बल्कि कुछेक घटनाओं में तो काल का ग्रास बन भी चुकी हैं। इसी प्रकार सड़क से दूर झाडि़यों या घने जंगलों के बीच जाने वाली महिलाओं को जहरीले जीव-जंतुओं का भी सामना करना पड़ता है। महिला सुरक्षा के तमाम दावों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती यह समस्या न तो कभी चुनावी मुद्दा बन पाई और न ही किसी पार्टी के घोषणा पत्र में अपना स्थान बना पाई।

स्टेट हाई-वे एवं नेशनल हाई-वे अथारिटी को इस दिशा में गंभीरता से कोई नीति बनाकर उसका प्रभावी क्रियान्वयन करना चाहिए। तमाम विधायकों एवं सांसदों को अपने-अपने क्षेत्र में अपनी निधि का कुछ भाग सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण और उनके रखरखाव पर खर्च करना अनिवार्य होना चाहिए। शौचालयों का निर्माण मात्र औपचारिकता ही हो, ऐसी कोशिशों पर भी अंकुश लगना चाहिए, क्योंकि गंदे व मानव संचालित शौचालयों से संक्रमण होने का न केवल खतरा बना रहता है, अपितु बार-बार संक्रमण होने के कई गंभीर परिणाम भी सामने आए हैं। इससे बार-बार होने वाले यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन से न केवल गुर्दों पर बुरा प्रभाव  पड़ता है, बल्कि महिलाओं में सरविकल कैंसर होने का भय भी बरकरार रहता है। ई-टायलेट यहां एक बेहतर विकल्प हो सकता है। पर्यावरण मित्र शौचालयों का निर्माण ही स्वच्छ भारत मिशन का आधार हो। इसके अलावा हर क्षेत्र की जरूरतों को समझते हुए शौचालयों के निर्माण हेतु केंद्र व राज्य के नेताओं से यह आशा रहेगी। चुनावी किश्ती पर सवार होकर जनता से उनके बहुमूल्य मत के बदले कई तरह के वादे करने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें भी इस अहम मसले को तवज्जो देनी चाहिए। वैसे भी हिमाचल को पर्यटन राज्य के तौर पर विकसित करने के लिए शासन व प्रशासन के स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं। सड़कें ही प्रदेश में यातायात का मुख्य माध्यम हैं। लिहाजा जो पर्यटक प्रदेश आएगा, उसे सड़क मार्ग से ही प्रदेश आना और वापस लौटना होता है। ऐसे में जो पर्यटक हिमाचल घूमने आएं, उन्हें भी तो इस दुखद अनुभव से बचाना होगा। उम्मीद है कि हमारे जनप्रतिनिधि इस समस्या को दूर करने के लिए गंभीर होकर प्रयास करेंगे।


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