हिंगलाज मंदिर

By: Nov 4th, 2017 12:08 am

पाकिस्तान में हिंदू आस्था का केंद्र माने जाने वाले बलूचिस्तान के जिला लसबेला में हिंगोल नदी के किनारे पहाड़ी गुफा में माता पार्वती का अति प्राचीन हिंगलाज मंदिर स्थापित है। जो मुख्य 51 शक्तिपीठों में से एक है। जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव करने लगे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 51 भाग कर दिए थे। हिंगलाज वही जगह है, जहां माता पार्वती का सिर गिरा था। इस मंदिर में माता सती कोटटरी रूप में और भगवान शिव भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं। माता हिंगलाज मंदिर परिसर में श्री गणेश, कालिका माता की प्रतिमा के अलावा ब्रह्मकुंड और तीरकुंड आदि प्रसिद्ध हैं। पुराणों में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है और ब्रह्मवैवर्त पुराण में ऐसा बताया गया है कि जो व्यक्ति एक बार माता हिंगलाज के दर्शन कर लेता है उसे अपने पूर्व जन्मों के कर्मों का दंड नहीं भुगतना पड़ता है। इतना ही नहीं, एक मान्यता यह भी है कि भगवान परशुराम के द्वारा 21 क्षत्रियों का अंत किए जाने पर बचे हुए क्षत्रियों के प्राणों की रक्षा माता हिंगलाज ने की थी। माता ने क्षत्रियों को ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया, जिससे परशुराम से उन्हें अभयदान मिल गया था। माता हिंगलाज का मंदिर चमत्कारी मंदिर माना जाता है। इस मंदिर का पुजारी अभी भी मुस्लिम ही है। यह मंदिर पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल देश में धर्म निरपेक्षता की मिसाल कायम किए हुए है। इस मंदिर के लिए स्थानीय लोगों में यह कथा भी प्रचलित है कि जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब अनेकों धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक धरोहरें तोड़ दी गई थीं, लेकिन जब हिंगलाज माता का मंदिर तोड़ने का प्रयास किया गया, तो उन सभी लोगों की मृत्यु हो गई और इसे माता का चमत्कार माना जाता है। पाकिस्तान में स्थित माता के इस शक्तिपीठ को जहां हिंदू देवी हिंगलाज के रूप में पूजते हैं, वहीं मुसलमान नानी का हज कहते हैं। यही कारण है कि इस शक्तिपीठ में आकर हिंदू और मुसलमान का भेदभाव मिट जाता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App