हिमालय के स्थान पर था लंबा संकरा जलमग्न क्षेत्र

By: Nov 22nd, 2017 12:02 am

हिमालय के उद्भव- विकास को समझने के लिए तृतीयक कल्प के पहले की दशा पर ध्यान देना अनिवार्य है। इस कल्प के प्रारंभ होने से पूर्व (7 करोड़ वर्ष) हिमालय के स्थान पर एक संकरा लंबा जलमग्न क्षेत्र था…

गतांक से आगे…जन्हें क्रमशः कश्मीर एवं असम ‘सिनटैक्सिस’ कहते हैं। इन्हीं मोड़ों से पश्चिम की ओर हिंदुकुश सूलेमान तथा पूरब की ओर पटकोई-नागा पहाडि़यां उत्तर-दक्षिण दिशा ग्रहण करती हैं।

(ग)  हिमालय से प्रवाहित होने वाली अधिकतर प्रमुख नदियां (सिंधु, सतलुज, गंडक, अरुण, कोशी, करनाली, ब्रह्मपुत्र) हिमालय के पार तिब्बत पठार से निकल हिमालय की श्रेणियों के आर-पार प्रवाहित होती हैं। अर्थात यह पूर्ववर्ती प्रवाह के उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। यह मुख्य हिमालय में 2000 से 4000 मीटर गहरी खाइयां बनाती हैं।

(घ) हिमालय की प्रमुख श्रेणी की ऊंचाई पश्चिम की अपेक्षा पूर्व की ओर अधिक है। अधिकतर ऊंची चोटियां- एवरेस्ट, कंचनजंघा, मालू धौलागिरी- पूर्व हिमालय में मिलती हैं।

(ङ) पश्चिम की ओर हिमालय की ऊंचाई अधिक है। जबकि पूर्व की ओर कम हो जाती है।

(च)  पश्चिम की ओर हिमालय के तीन प्रमुख खंड-महान, लघु एवं शिवालिक-स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं जबकि पूर्व की ओर से एक-दूसरे से सट जाते हैं। अतः हिमालय के अभिन्न अंग होने के कारण हिमालय पर्वत का देश के भूगोल, इतिहास,संस्कृति और कला में अपना विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण स्थान है। हिमालय के उद्भव- विकास को समझने के लिए तृतीयक कल्प के पहले की दशा पर ध्यान देना अनिवार्य है। इस कल्प के प्रारंभ होने से पूर्व(7 करोड़ वर्ष)हिमालय के स्थान पर एक संकरा लंबा जलमग्न क्षेत्र था।

  -क्रमशः


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