हिमालय से अटूट संबंध माना जाता है शिवजी का

By: Nov 29th, 2017 12:05 am

हिमालय से शिवजी का अटूट संबंध रहा है और हिमालय के उच्च शिखरों पर उनका निवास माना जाता है। शिव के मंदिर को शिवालय कहते हैं। शिवालय में शिव की कोई मूर्ति नहीं होती, बल्कि शिवलिंग की स्थापना होती है। जिसे शिवपिंडी भी कहा जाता है…

हिमाचल में धर्म और पूजा पद्धति

हिमाचली क्षेत्रों में देवी-देवताओं की पूजा की योजनाबद्ध पद्धति है। निम्न क्षेत्रों में कुछ भिन्नताएं हैं, परंतु पूजा पद्धति और देवी-देवताओं का मूल स्वरूप एक जैसा ही है। निम्न क्षेत्रों को छोड़कर देवी-देवताओं के अधिकतर वर्गाकार के मंदिर बने हैं, जिनके निर्माण में लकड़ी का प्रयोग हुआ है। मंदिरों में देवी-देवताओं की पत्थर की मूर्तियां कम और सोने-चांदी, पीतल या अन्य धातुओं की मूर्तियां अधिक हैं। प्रत्येक देवी-देवता के नाम छोटे या बड़े स्तर पर मेलों का आयोजन भी होता है।  देवी-देवताओं का भी एक प्रकार का राजनीतिक पद निश्चित है। छोटे देवी-देवता बड़े देवी-देवताओं के पास पालकियों में सजकर बैंडबाजे के साथ श्रद्धा के फूल चढ़ाने जाते हैं। मेलों या अन्य उत्सवों में देवी-देवताओं की मूर्तियों को इकट्ठा होने पर पदानुसार रखा जाता है। प्रत्येक देवी-देवता का एक पुजारी और एक गूर होता है। गूर का स्थान पुजारी से ऊपर होता है। गूर प्रायः सिर पर लंबे बाल रखता है और ‘खेल’ में देवी-देवता उसके माध्यम से ही लोगों से बातचीत करते हैं। अचेतन अवस्था में खेल में गूर द्वारा कही गई बात दैवीय महत्त्व रखती है। पुजारी और गूर के बाद प्रायः वंशानुगत होते हैं। देवी-देवता भी मनुष्य की भांति आचरण करते हैं और अपना संतोष या असंतोष  प्रकट करते हैं। उन्हें संतुष्ट करने के लिए मिठाई, अन्न आदि  से लेकर पशुओं तक की बलि भेंट की जाती है। देवी-देवता मनुष्य के तीन रूपों में सेवा करते हैं धार्मिक रूप में मानसिक व आध्यात्मिक शांति देकर, इच्छापूरक के रूप में सांसारिक इच्छाओं को पूरा कर और रक्षक के रूप में जादू- टोना, भूत- प्रेतों और अन्य प्राकृतिक या अप्राकृतिक विपत्तियों से रक्षा करते हैं। हिमाचल प्रदेश में पूजित होने वाले भारतीय सांस्कृतिक और स्थानीय देवी-देवताओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी निम्न प्रकार से है :

शिव पूजा : भारतवर्ष में शिव पूजा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उसे सृष्टि का पालनकर्ता और संहर्ता माना जाता है। शिवजी के 100 के लगभग नाम लिए जाते हैं, जिनमें  महादेव सर्वोपरि है और शिव सब देवताओं में बड़ा होने का द्योतक है। शिव पुराण और उत्तम पुराण ग्रंथ शिव की महिमा से भरे पड़े हैं। हिमालय से शिवजी का अटूट संबंध रहा है और हिमालय के उच्च शिखरों पर उनका निवास माना जाता है। शिव के मंदिर को शिवालय कहते हैं। शिवालय में शिव की कोई मूर्ति नहीं होती, बल्कि शिवलिंग की स्थापना होती है। जिसे शिवपिंडी भी कहा जाता है। महादेव के हिमाचल प्रदेश में प्रसिद्ध शिव मंदिर कांगड़ा में बड़ोह महादेव, नर्वदेश्वर महादेव, सराज क्षेत्र में ईश्वर महादेव, कुल्लू में शमशी महादेव, बीणी महादेव, जगेश्वर महादेव, बुशहर में बुशहर महादेव, फोटीचनूल बौंगाड़ू महादेव, अल्बा में कुलखेत्र महादेव तथा शिमला जिला में कुमारसेन व अन्य कई स्थानों पर कोटेश्वर महादेव और महासू देवता के मंदिर हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App