हिस्सेदारी के लिए सरकार को चाहिए 100 करोड़

By: Nov 19th, 2017 12:04 am

केंद्र सहित नाबार्ड की योजनाओं को सिरे चढ़ाने के लिए प्रदेश को पैसे की सख्त जरूरत

शिमला – हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित कई केंद्रीय योजनाओं में हिस्सेदारी की राशि देने के लिए सरकार को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा चाहिए। वित्त विभाग ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 300 करोड़ रुपए के लोन के लिए अप्लाई किया है, जिसमें से यह पैसा केंद्रीय योजनाओं को सिरे चढ़ाने के लिए दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने अपनी योजनाओं में हिमाचल को 90ः10 के अनुपात में राशि देने के लिए कहा है, क्योंकि हिमाचल विशेष श्रेणी राज्यों में शुमार है। ऐसे में यह हिस्सेदारी की राशि जमा करवाने के बाद यहां पर काम शुरू हो सकेगा। कई योजनाओं के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ने मंजूरी प्रदान की है। चुनाव आचार संहिता लगने से पहले यह मंजूरियां मिल चुकी हैं, परंतु उस समय प्रदेश सरकार के पास पैसा उपलब्ध नहीं था। इस कारण से अभी तक काम शुरू नहीं हो सका। मतदान के बाद अब प्रदेश सरकार ने पैसे का इंतजाम करने के लिए रिजर्व बैंक से 300 करोड़ रुपए के लोन की डिमांड की है, जिसकी मंजूरी भी चुनाव आयोग से मिल चुकी है। सूत्र बताते हैं कि 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि हिस्सेदारी के रूप में देने के लिए ये लोन लिया जा रहा है, जिससे यहां पर सड़क योजनाओं के लिए हिस्सेदारी की राशि दी जाएगी, वहीं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाओं के प्रोजेक्टों पर भी काम किया जाएगा। इसकी मंजूरी चुनाव से पहले मिल चुकी है। यहां नाबार्ड ने भी प्रदेश के लिए सड़क, पेयजल व सिंचाई की कुछ योजनाएं मंजूर की हैं, जिसकी दो अलग-अलग मंजूरियां मिली हैं। इसमें एक 450 करोड़ से ज्यादा की है जबकि दूसरी अभी आचार संहिता के दायरे में फंसी है। इन योजनाओं के लिए भी प्रदेश सरकार को हिस्सेदारी की राशि जमा करवानी है, जिसके बाद यहां पर काम शुरू हो सकता है। बताया जाता है कि कर्मचारियों के पुराने बकाया को निपटाने के लिए भी इस लोन में से कुछ राशि खर्च की जा सकती है। वैसे अधिकांश राशि केंद्रीय योजनाओं में हिस्सेदारी की ही है।

प्रदेश में कर्ज के सहारे चलाया जा रहा काम

स्वां चैनेलाइजेशन के लिए केंद्र सरकार ने 52 करोड़ रुपए जारी किए हैं, जिसमें भी प्रदेश सरकार को अपने हिस्से की राशि जुटानी है। वैसे राज्य सरकार पहले ही इसमें अधिक पैसा खर्च कर चुकी है, परंतु ये मामला अभी विचाराधीन है। इस तरह की योजनाओं को पूरा करने के लिए राज्य को हर महीने लोन लेना पड़ रहा है।

 


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