होम स्टे को बनाएं कमाई का जरिया

By: Nov 24th, 2017 12:02 am

शिमला में आजीविका विकास कार्यक्रम में पर्यटक बढ़ाने पर जोर

शिमला— प्रदेश के जनजातीय जिलों में होम स्टे कमाई का बेहतरीन विकल्प है। ऐसे में उक्त क्षेत्रों के लोगों वहां आने वाले पर्यटकों के लिए होम-स्टे की सुविधा प्रदान करवानी चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें, ताकि सैलानी यहां से अच्छा अनुभव ले कर जाएं। यह बात हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा ‘संरक्षित क्षेत्रों के आसपास रहने वाले सीमांत समुदायों के लिए आजीविका विकल्प के विकास की दिशा में एकीकृत दृष्टिकोण’ विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही गई। इस दौरान ईको टूरिज्म और होम स्टे योजनाओं के बारें में विस्तार से जानकारी बांटी गई।  वन विभाग के वन्य-जीव विंग की वित्तीय सहायता से आयोजित कार्यक्रम में जिला लाहुल-स्पीति के लगभग 20 लोग, जो सीमांत तथा संरक्षित क्षेत्रों के आसपास रहते हैं, के साथ प्रदेश वन विभाग के संरक्षित क्षेत्रों में तैनात अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता डा. सुनील चौधरी, सचिव (सामान्य प्रशासन) ने की। उन्होंने कहा कि जनजातीय जिलों लाहुल-स्पीति, किन्नौर और चंबा के लोग बहुत ही कठिन परिस्थितियों में अपना गुजर-बसर करते हैं। हिमाचल सरकार तथा केंद्र सरकार की सहायता से बहुत सी परियोजनाएं इन क्षेत्रों में चलाई जा रही हैं, परंतु फिर भी यहां के निवासियों को निर्वहन के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ईको-टूरिज्म की इन क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। यहां के स्थानीय युवाओं को इस क्षेत्र में विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। प्रशिक्षणार्थियों से आग्रह किया कि सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में चलाई जा रही विकासात्मक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों की संस्कृति के साथ-साथ हमें वहां की पारिस्थिति का भी संरक्षण सुनिश्चित करना है।


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