अब एक शरीर में धड़क सकेंगे दो दिल

By: Dec 11th, 2017 12:03 am

चेन्नई के हार्ट सर्जन ने ईजाद की नई तकनीक, कुत्तों के पेट में लगाया हार्ट

चेन्नई— हार्ट ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीजों के लिए अच्छी खबर है। जिन मरीजों के दिल कमजोर होते हैं उनके शरीर में दो दिल लगाए जा सकते हैं। चेन्नई के एक हार्ट सर्जन ने दो कुत्तों के शरीर में एक अतिरिक्त दिल सफलतापूर्वक लगाया है। यह दिल कुत्तों के पेट में लगाए गए हैं। जो मरीज पूरी तरह हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए फिट नहीं होते हैं उनके लिए फ्रंटियर लाइफ लाइन टीम ने स्टेट ट्रांसप्लांट अथारिटी से इसके लिए इजाजत मांगी है। अपने प्रयोग को अन्य हार्ट सर्जन के सामने पेश करते हुए डाक्टरों की टीम ने कहा कि वे इस तकनीक का ह्यूमन ट्रायल कर देखना चाहते हैं कि यह कितनी सफल होती है। ट्रांसटैन के मेंबर सेक्रेटरी डॉटर पी. बालाजी ने बताया कि इस संबंध में सरकार को सुझाव भेजे जाएंगे। फंटियर लाइफ लाइन के चीफ डाक्टर केएम चेरियन ने कहा कि अगर किसी डोनर हार्ट की पंपिंग कपैसिटी 30 पर्सेंट से कम होगी तो सर्जन उसे निकाल देंगे। इसके विपरीत, हार्ट फेल होने वाले कई मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं करा सकते, क्योंकि इसमें मल्टी-ऑर्गन फेलियर और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं। ऐसे मरीजों को कमजोर हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस की जरूरत होगी जो एक मेकेनिकल पंप होता जिसे मरीज की छाती में लगाया जाता है। इस मशीन की कीमत एक करोड़ रुपये तक पड़ती है। मरीजों को ऐसा हार्ट देना जो मामूली रूप से काम कर रहा है उसके बजाय इस तकनीक जिंदगी और पैसा दोनों बचाए जा सकते हैं।

एथिक्स कमेटी से चाहिए ट्रायल की इजाजत

फ्रंटियर लाइफ लाइन की हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जन डाक्टर मधु शंकर ने कहा कि इस तकनीक की मदद से जब तक मरीज पूरी तरह हार्ट ट्रांसप्लांट के काबिल नहीं हो जाता तब तक मदद मिल सकती है या इसे हार्ट ट्रांसप्लांट की जगह भी प्रयोग में लाया जा सकता है। जानवरों पर प्रयोग करते हुए डाक्टरों ने डोनर हार्ट को पेट के हिस्से में फिट किया। डाक्टर शंकर ने बताया कि हमने कुत्तों में देखा कि नया हार्ट उनके मूल दिल को काम करने में मदद कर रहा था। इनमें से एक कुत्ते की पहले ही दिन मौत हो गई, क्योंकि उसके पास डोनर ब्लड की कमी थी, जबकि दूसरा कुत्ता 48 घंटे तक जिंदा रहा और उसने टहलने के अलावा खाना भी खाया। जानवरों पर किए गए टेस्ट और स्कैन से पता चला कि दूसरा दिल उपयुक्त क्षमता के साथ खून पंप कर रहा था। दोनों कुत्तों के पोस्टमार्टम से पता चला कि उनके दिल की मांसपेशियां काम करने योग्य थीं। डाक्टर शंकर ने बताया कि इससे ट्रांसप्लांट के सफल होने का पता चलता है। हास्पिटल अब एथिक्स कमेटी से इस तकनीक के क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत चाहता है।


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