उम्मीदों के आसमां पर नई सरकार

By: Dec 11th, 2017 12:05 am

प्रो. सुरेश शर्मा

लेखक, राजकीय महाविद्यालय नगरोटा बगवां में सह प्राध्यापक हैं

मतदान के जरिए जनता अपना सेवक चुनती है, न कि मसीहा। चुने हुए प्रतिनिधियों को भी यह समझना चाहिए कि एक-एक वोट मांगकर वे एक सम्मानित, जिम्मेदार व प्रतिष्ठित पद पर पहुंचे हैं, लिहाजा एक-एक मत के पीछे छिपी उम्मीदों का वे सम्मान करें…

विगत नौ नवंबर को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न हो गए और अब कई प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद है। अब करीब और हफ्ता भर जनता में चर्चा, जीत-हार के दावे, कयास, प्रत्याशियों में अनिश्चितता और भय का माहौल बना रहेगा। मतदान व चुनाव परिणाम के अंतराल के बीच समय आत्मचिंतन व आत्ममंथन का है। सरकार का अर्थ, प्रतिनिधियों की भूमिका व लोगों की भागीदारी पर विचार होना चाहिए। पांच वर्ष के उपरांत मतदान करना, प्रतिनिधि और सरकार का चयन करने का वास्तविक अर्थ समझा जाना चाहिए। प्रजातंत्र में वोट की शक्ति व मतदाताओं की आशाओं-आकांक्षाओं का सम्मान होना चाहिए। स्पष्ट है कि लोकतंत्र, प्रजा द्वारा बुना हुआ ताना-बाना है। इसमें मत व मतदाता की ताकत को कभी भी कम करके नहीं आंका जा सकता। पांच वर्षों के बाद मतदान करने पर मतदाता का उत्साह, आशा व आकांक्षा अपने चरम पर होती है। वह चुने हुए प्रतिनिधियों व लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकारों से कुछ उम्मीद रखता है।

यहां इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि मतदान के जरिए जनता अपना सेवक चुनती है, न कि मसीहा। चुने हुए प्रतिनिधियों को भी यह समझना चाहिए कि एक-एक वोट मांगकर वे एक सम्मानित, जिम्मेदार व प्रतिष्ठित पद पर पहुंचे हैं तथा एक-एक मत के पीछे छिपी हुई उम्मीदों व आकांक्षाओं का सम्मान कर उन्हें मतदाता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। जनता ने उन्हें अपने आका के रूप में नहीं, बल्कि सेवक व हित चिंतक के रूप में चुना है। सरकार कुछ निश्चित तथा चुने हुए व्यक्तियों व प्रतिनिधियों का समूह होती है, जो राज्य में शासन की नीति को लागू करती है। सरकार प्रजा के हित में राजनीतिक फैसले लेती है या व्यवस्था पर नियंत्रण रखती है। सरकार का अर्थ लोगों को हरसंभव सुख-सुविधाएं देना, उनकी जीवन शैली को सुगम व सरल बनाना तथा सदैव सुरक्षा के लिए तत्पर रहना है। प्रजातंत्र में चुनी हुई सरकारों को सेवा के माध्यम से अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करना अपेक्षित है। यह जिम्मेदारी सत्ता का भोग नहीं है, परंतु एक सामाजिक, नैतिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।

चुने हुए प्रतिनिधियों को मतदाता को उपयोग की वस्तु न समझकर उनकी मूल भावना का सम्मान करना चाहिए। एक जागरूक मतदाता अपनी चुनी हुई सरकार से उम्मीद करता है कि उसके नेतृत्व में समाज में सौहार्द हो। जाति, धर्म व संप्रदाय के आधार पर कोई विवाद न हो। सभी लोग एक-दूसरे से प्रेम करें, सम्मान करें व समाज में प्रेम भाव, भाईचारा व समरसता हो। किसी भी आधार पर समाज में विघटन व विखंडन न हो। सरकार की देखरेख में प्रजा के स्वास्थ्य की अच्छी तरह देखभाल हो। सभी सुखी हों, निरोगी हों। सभी को स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। अस्पतालों में डाक्टर हों, चिकित्सीय उपकरण तथा दवाइयां उपलब्ध हों। शिक्षा व संस्कारों के अभाव में मनुष्य पशु तुल्य है। सभी को गुणात्मक शिक्षा मिले। शिक्षा केवल आंकड़ों पर ही आधारित न हो। सही शिक्षा के अभाव में समाज का पतन हो जाता है। सड़कें विकास की रेखाएं कहलाती हैं, जहां अभी भी लोगों को सड़क सुविधा नहीं है, वहां पर उनको देश व दुनिया से जोड़ा जाना चाहिए।

 भौतिक विकास प्राकृतिक संसाधनों की कीमत पर नहीं होना चाहिए। जहां तक संभव हो, बिजली व स्वच्छ पानी की व्यवस्था हो। सब तरफ स्वच्छ और सौंदर्ययुक्त वातावरण हो। हालांकि सभी की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है, फिर भी सरकार से आशा की जाती है कि सभी को भयमुक्त, भ्रष्टाचारमुक्त व स्वच्छंद वातावरण प्रदान करे। इसी बीच नई सरकार महिला सुरक्षा की अपेक्षा की जाती है। महिलाएं जीवन संचालन में बराबर की भागीदार हैं। उन्हें आगे बढ़ाना व उनकी अस्मिता तथा गरिमा का ध्यान रखना, उन्हें सबल बनाया जाना चाहिए। उनके मनोबल को बढ़ाना, उन्हें सिर ऊंचा कर जीने का अवसर प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है। किसान, नौजवान, बागबान, कर्मचारी और विभिन्न वर्गों के व्यक्तियों के हितों का ध्यान रखना तथा उनके विकास व उत्थान के लिए नीतियां बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। किसी भी व्यक्ति का किसी भी आधार पर शोषण नहीं होना चाहिए। वहीं बेरोजगारी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। सरकार को चाहिए कि युवाओं को उनकी योग्यता के अनुरूप रोजगार के नए अवसर सृजित करे।

कला, विज्ञान, खेल, पत्रकारिता, लोक संस्कृति आदि विषय समाज में चेतना का संचार करते हैं। समाज में विभिन्न कलाओं के माध्यम से जीवन सुंदर बनता है। खेलों व कलाकारों के माध्यम से समाज सुसंस्कृत होता है। इन्हें बढ़ावा देना सरकार का नैतिक दायित्व है। यह सत्य है कि सरकारें वोट के माध्यम से चुनी जाती हैं, लेकिन, लोगों के सहयोग के बिना चल नहीं सकतीं। जब तक लोगों की भागीदारी सरकार के कार्यों में नहीं होगी, तब तक किसी भी विकास व उत्थान की कामना नहीं की जा सकती है। लोगों को भी चाहिए कि वे सरकारों पर ही आश्रित न रहें, बल्कि, समाज, प्रांत व देश निर्माण की प्रक्रिया में अपने आप को समर्पित कर मजबूती से कार्य करें। सामूहिक भागीदारी से ही प्रदेश का भाग्य लिखा जा सकता है। सरकार भी जनभावनाओं के अनुरूप खरा उतरने की कोशिश करे। चुनाव परिणाम से पूर्व ही नई सरकार व चुने जाने वाले प्रतिनिधियों को बधाई व शुभकामनाएं! आशा है कि नई सरकार के गतिशील नेतृत्व में प्रदेश का चहुंमुखी विकास होगा तथा हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपना नाम अंकित कर नए आयाम स्थापित करेगा।

ई-मेल : suresh9418026385@gmail.com


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