एड्स नियंत्रण दिवस

By: Dec 1st, 2017 12:05 am

(रवि कुमार सांख्यान, बिलासपुर)

सत्तर के दशक में उत्पन्न हुआ,

1986 में प्रथम बार भारत आया।

ठीक-ठीक याद नहीं,

कब किस मार्ग-वाहन से आया।

1992 में हिमाचल को जाना,

मेरा कारवां दिन-रात बढ़ता रहा।

लेकिन मैं तो मुसाफिर हूं,

जात-पात का भेद न जानूं,

अमीर-गरीब लिंगभेद न मानूं।

वफा-बेवफा की परख कराता,

कहीं तो बिना आहट चला आता।

समाज में नैतिक मूल्य का हृस बताता,

मैं हूं एचआईवी सूक्ष्म विषाणु की जात।

न बना टीका, दवाई और न इलाज,

जो कर सके मेरा समूल नाश।

खून में अघोषित घुसपैठ करके,

अंदर ही अंदर खा जाता हूं,

 


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