एनजीटी के फैसले के रिव्यू को बनी समिति

By: Dec 3rd, 2017 12:15 am

शिमला – एनजीटी के आदेशों को रिव्यू करने का मामला नई सरकार के पाले में पड़ने के पूरे आसार बन गए हैं। हालांकि इस मसले को लेकर राज्य सचिवालय में शनिवार को एक बैठक हुई, लेकिन इस मसले पर कोई फैसला नहीं हुआ। बैठक में चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जो कि सोमवार को मंथन करेगी। राज्य सचिवालय में शनिवार में एनजीटी के आदेशों को लेकर हुई बैठक बेनतीजा रही। मुख्य सचिव वीसी फारका की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में इस मसले पर कोई फैसला नहीं हुआ। जानकारी के अनुसार इस बैठक में चार सदस्यीय कमेटी बनाने का फैसला किया गया। इस कमेटी में विधि सचिव, राजस्व सचिव, नगर नियोजन विभाग के निदेशक और नगर निगम शिमला के आयुक्त को शामिल किया गया है। यह कमेटी सोमवार को बैठक कर इस पूरे मसले पर चर्चा करेगी। इसमें जो भी फैसला होगा, उसके सरकार को अवगत करवाया जाएगा। जानकारों का कहना है कि इस मामले में अब गेंद नई सरकार के पाले में ही पड़ेगी। राज्य में मौजूदा समय में चुनावी आचार संहिता लगी हुई है और 18 दिसंबर को चुनावी परिणाम भी आने हैं। ऐसे में अब चुनाव के बाद सरकार का गठन होगा और नई सरकार ही इस संवेदनशील मसले पर कोई फैसला करेगी। बताया जा रहा है कि शनिवार को हुई बैठक में नगर निगम की ओर से पार्षदों की राय के बारे में भी चर्चा हुई। इस फैसले के खिलाफ व्यापक जन आक्रोश को लेकर भी बैठक में उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया। साथ में एनजीटी के फैसले को लागू करने की बाध्यता को लेकर भी बैठक में विचार-विमर्श हुआ, लेकिन कोई फैसला करने की बजाए एक कमेटी गठित की गई। उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने अपने आदेशों में कहा है कि शिमला में अढ़ाई मंजिल से ज्यादा भवनों का निर्माण न किया जाए, वहीं मौजूदा अवैध भवनों को नियमित करने के लिए भी भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कई और आदेश भी एनजीटी ने अपने फैसले में दिए हैं। एनजीटी के आदेशों के बाद नगर निगम शिमला ने भवनों के नक्शों पर रोक लगा रखी है। एनजीटी के आदेशों को लेकर भवन मालिकों में भारी रोष पनप गया है। लोग इस मामले को लेकर अदालत ले जाने की गुहार सरकार से लगा रहे हैं, वहीं नगर निगम के पार्षद भी इसके विरोध में उतर आए हैं। नगर निगम ने भी बीते दिनों एक प्रस्ताव भी इस बारे में पारित किया है, जिसमें सरकार से एनजीटी के फैसले को लेकर समीक्षा याचिका दायर करने की मांग की गई है। उधर, अफसर इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।


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