क्या है ब्रह्मास्त्र और इसकी वास्तविक शक्ति

By: Dec 16th, 2017 12:05 am

प्राचीन भारत में परमाणु विस्फोट के और भी अनेक साक्ष्य मिलते हैं। राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग दस मील की दूरी पर तीन वर्ग मील का एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर रेडियोएक्टिव राख की मोटी सतह पाई जाती है। वैज्ञानिकों ने उसके पास एक प्राचीन नगर को खोद निकाला है जिसके समस्त भवन कई हजार साल पूर्व नष्ट हुए…

भारतीय संस्कृति की विशालता और वैज्ञानिकता इतनी विशाल है कि इतिहास भी जब कभी अपने को दोहराता है तो भारतीय विज्ञान और संस्कृति पर ही अटकता है। चाहे वह 1945 का पहला परमाणु परीक्षण क्यों न हो, या फिर आइंस्टीन की 100 साल पुरानी गुरुत्त्वाकर्षण की थ्योरी हो, जो आज सच साबित हुई है। आज हम बात कर रहे हैं पौराणिक वर्णित शस्त्र ब्रह्मास्त्र की, जो इतना शक्तिशाली था कि देवता और मनुष्य सभी उससे कांपते थे। माना जाता है कि उस शस्त्र से इतनी ऊर्जा निकलती थी कि वह धरती को पल में भस्म कर सकती थी। वह विनाश कितना भयावह था, इसका अनुमान महाभारत के इस स्पष्ट वर्णन से लगाया जा सकता हैः-‘अत्यंत शक्तिशाली विमान से एक शक्ति-युक्त अस्त्र प्रक्षेपित किया गया, धुएं के साथ अत्यंत चमकदार ज्वाला, जिसकी चमक दस हजार सूर्यों की चमक के बराबर थी, उसका अत्यंत भव्य स्तंभ उठा, वह वज्र के समान अज्ञात अस्त्र साक्षात् मृत्यु का भीमकाय दूत था जिसने वृष्ण और अंधक के समस्त वंश को भस्म करके राख बना दिया। उनके शव इस प्रकार से जल गए थे कि पहचानने योग्य नहीं थे। उनके बाल और नाखून अलग होकर गिर गए थे, बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के बर्तन टूट गए थे और पक्षी सफेद पड़ चुके थे। कुछ ही घंटों में समस्त खाद्य पदार्थ संक्रमित होकर विषैले हो गए, उस अग्नि से बचने के लिए योद्धाओं ने स्वयं को अपने अस्त्र-शस्त्रों सहित जलधाराओं में डुबो लिया।’ प्राचीन भारत में परमाणु विस्फोट के और भी अनेक साक्ष्य मिलते हैं। राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग दस मील की दूरी पर तीन वर्ग मील का एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर रेडियोएक्टिव राख की मोटी सतह पाई जाती है। वैज्ञानिकों ने उसके पास एक प्राचीन नगर को खोद निकाला है जिसके समस्त भवन और लगभग पांच लाख निवासी आज से लगभग 8,000 से 12,000 साल पूर्व किसी विस्फोट के कारण नष्ट हो गए थे।

क्या है ब्रह्मास्त्र?

ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ब्रह्म (ईश्वर) का अस्त्र। ब्रह्मास्त्र एक दिव्यास्त्र है जो परम पिता ब्रह्मा का सबसे मुख्य अस्त्र माना जाता है। एक बार इसके चलने पर विपक्षी प्रतिद्वंद्वि के साथ-साथ विश्व के बहुत बड़े भाग का विनाश हो जाता है। इस शस्त्र को शास्त्रों में सबसे विनाशक शस्त्र का दर्जा प्राप्त है।

रामायण-महाभारत में परमाणु बम का प्रमाण

हो सकता है कि दुनिया का पहला परमाणु बम महाभारत के युद्ध में चला हो। आधुनिक काल में जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 के बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परीक्षण किया गया। एक शोध-कार्य से विदेशी वैज्ञानिकों को पला चला कि वास्तव में महाभारत में परमाणु बम का उपयोग हुआ था। पुणे के डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने अपने शोध-कार्य के आधार पर कहा था कि महाभारत के समय जो ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल किया गया था, वह परमाणु बम के समान ही था।

ब्रह्मास्त्र के प्रकार

ब्रह्मास्त्र कई प्रकार के होते थे। छोटे-बड़े और व्यापक रूप से संहारक। इच्छित, रासायनिक, दिव्य तथा मांत्रिक-अस्त्र आदि। माना जाता है कि दो ब्रह्मास्त्रों के आपस में टकराने से प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे समस्त पृथ्वी के समाप्त होने का भय रहता है। महाभारत में सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिए गए हैं। वेद-पुराणों आदि में वर्णन मिलता है कि जगत पिता भगवान ब्रह्मा ने दैत्यों के नाश के लिए ब्रह्मास्त्र की उत्पत्ति की। प्रारंभ में ब्रह्मास्त्र देवी और देवताओं के पास ही हुआ करता था। देवताओं ने सबसे पहले गंधर्वों को इस अस्त्र को प्रदान किया। बाद में यह इनसानों ने हासिल किया।


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