गुजरात में देश का सबसे गंदा चुनाव

By: Dec 22nd, 2017 12:10 am

प्रो. एनके सिंह

लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं

प्रधानमंत्री के खिलाफ भी इतना कुछ कहा गया जो कि इतने बड़े व गौरवमयी पद पर बैठे व्यक्ति के लिए कहा नहीं जाना चाहिए। यह उचित समय है जब नियमों का उल्लंघन करने वाली पार्टियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और चुनाव आयोग जैसी प्रतिष्ठित संस्था का गौरव बरकरार रखा जाना चाहिए। गालियों, चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन और गौरवमयी संस्थाओं का अवमूल्यन होने के कारण गुजरात का इस बार का चुनाव सबसे गंदा कहा जाएगा…

चुनाव परिणाम घोषित होने के बावजूद कुछ परेशान करने वाले मसले देश को बार-बार कुरेदते रहेंगे। सबसे अधिक विनम्र और ठंडे दिमाग के कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर क्या हुआ, यह किसी भी सामान्य समीक्षक की समझ से परे है। गुजरात में चुनाव के लिए जब प्रचार अभियान अपने यौवन पर था, तो मणिशंकर अय्यर के घर पर पाक राजदूत के साथ बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व उपराष्ट्रपति, पूर्व सेना अध्यक्ष व अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी भाग लिया। दुश्मन देश के साथ ऐसी बैठक व उसके प्रतिनिधि का शानदार स्वागत, वह भी ऐसी स्थिति में जब हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं, इसके अलावा उस बैठक में क्या हुआ, यह सब कुछ सवाल खड़े करता है। ऐसा नहीं है कि इन लोगों ने इस तरह का विचित्र काम पहली बार किया है।

सरकार के सामने कई बार संकट आए। उसका समर्थन करने के बजाय इस समूह ने नम्रता के साथ बातचीत की पैरवी की। चीन के साथ डोकलाम संकट के समय भी ऐसा ही हुआ। इससे गैर कानूनी कार्रवाई का आभास हुआ, क्योंकि इस बैठक के औचित्य, परिणाम व जरूरत को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया। पाकिस्तान से बैठक के मामले में पहले वे मुकर गए और बाद में उन्होंने इस बात को स्वीकार कर लिया। इससे कुछ संदेह पैदा हो गए। उनकी प्रतिक्रिया भी देखें। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने जोर देकर कहा कि गुजरात की बात हुई, न कि वह जो बाहर घट रहा है। यह अत्यंत अतर्कसंगत व्यवहार है तथा जवाब भी सवाल के मुताबिक नहीं था। भाजपा ने इसे देश विरोधी बताया और बदले में कांग्रेस ने भाजपा पर प्रहार भी किया। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि क्यों पाकिस्तान चाहता है कि गुजरात का मुख्यमंत्री अहमद पटेल को बनाया जाए। यह निश्चित रूप से एक गंभीर मसला था। चूंकि इसके कोई प्रमाण नहीं थे, सिवाय इसके कि पाक के साथ बैठक की सूचना लीक हुई या यह केवल एक कल्पना मात्र थी। इसके कारण भय का वातावरण बना तथा कांगे्रस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस ने ऐसा व्यवहार किया जो एक जिम्मेदार विपक्ष के लिए ठीक नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गालियां भी दी गईं। यह सब कुछ रिकार्ड में है। राहुल गांधी व उनके साथियों ने जो कहा, वह सबके सामने है। प्रधानमंत्री को सांप, नीच, बिच्छु, चायवाला, गंदी नाली का कीड़ा, पागल कुत्ता, भस्मासुर, बंदर, औरंगजेब, मानसिक रूप से विक्षिप्त, अनपढ़, रावण व यमराज तक कहा गया। कुछ लोग यह भी मान सकते हैं कि जो कुछ भाजपा ने कहा, वह भी गलत है, हालांकि इतना असंसदीय नहीं। वास्तव में भाजपा ने कहा था कि कांग्रेस की संस्कृति अटकाना, लटकाना व भटकाना की रही है। ये शब्द आलोचना तो करते हैं, लेकिन ये गाली जैसे नहीं लगते। कांग्रेस व भाजपा के कुछ नेताओं की ओर से भद्दी टिप्पणियां की गईं, जिससे पहले से दूषित चुनावी माहौल और गंदा हो गया। चुनाव के अंतिम चरण में एक और विवाद हो गया। प्रधानमंत्री मोदी को मतदान केंद्र से बाहर आते और अपनी अंगुली पर लगे मतदान करने के निशान को दिखाते दिखाया गया। वह मतदान के लिए अपील कर रहे थे और जब वह चल रहे थे, तो एक भारी भीड़ उनका अभिवादन कर रही थी। उधर राहुल गांधी ने भी एक स्थानीय टीवी चैनल पर इंटरव्यू देते हुए आचार संहिता का उल्लंघन किया। इसके कारण चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भी दिया। इस बात में कोई संदेह नहीं कि राहुल गांधी ने नियमों का उल्लंघन किया, लेकिन कांगे्रस नेताओं ने उनका बचाव यह कह कर किया कि नरेंद्र मोदी ने भी आचार संहिता का उल्लंघन किया है। राहुल ने भी कहा कि प्रधानमंत्री को ऐसा नहीं करना चाहिए था। कई चैनलों ने भी सवाल किए कि क्या प्रधानमंत्री को मतदान के लिए अपील करनी चाहिए थी।

चुनाव आयोग पर भी अंगुलियां उठीं। उस पर कई तरह के आरोप लगे। इससे एक स्वतंत्र, निष्पक्ष व गौरवशाली संस्था की कार्यशैली को लेकर संदेह पैदा हुए तथा उसकी छवि भी धूमिल हुई। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को लेकर सवाल उठाए गए। चुनाव आयोग ने इन मसलों को सुलझाने का प्रयास भी किया। उसने मशीनों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया। खेद की बात यह है कि इस प्रदर्शन के दौरान मशीनों पर सवाल उठाने वाले लोग नहीं आए। इस तरह मामले का निष्पक्ष निपटारा नहीं हो सका। गुजरात में हुए चुनाव के दौरान भी वोटिंग मशीनों को लेकर इसी तरह के सवाल उठाए गए और आरोप लगाए गए कि भाजपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए इनका दुरुपयोग किया गया है। वास्तव में वोटिंग मशीनों को लेकर सवाल इसलिए उठा, क्योंकि कुछ जगहों पर मतदान के दौरान कुछ मशीनें खराब हो गईं। हालांकि उन्हें जल्द ही ठीक कर लिया गया था। ये मशीनें केवल कार्य नहीं कर रही थीं। इनका किसी के पक्ष में दुरुपयोग नहीं हुआ, जैसा कि आरोप लग रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि चुनाव आयोग निष्पक्षता नहीं बरत रहा है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस व भाजपा, दोनों दलों ने आचार संहिता का उल्लंघन किया। यहां तक कि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी प्रशासन की अनुमति के बिना एक जुलूस निकाला। किसी के खिलाफ भी कोई ठोस

कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन इसे किसी का पक्ष लेना नहीं कह सकते, बल्कि यह आयोग की निष्क्रियता कही जाएगी।

चुनाव के दौरान निरंतर आचार संहिता का उल्लंघन होता रहा, जिससे चुनाव का माहौल कुछ हद तक बिगड़ैल बना रहा। इसके अलावा कुछ ऐसे प्रयास भी हुए, जिससे चुनाव आयोग जैसे प्रतिष्ठित संस्था के सम्मान में कमी आई। कांग्रेस नेताओं ने यह आरोप भी लगाया कि चुनाव आयोग ने मोदी से पैसे लिए और इसीलिए इसे कमीशन कहा जाता है। प्रधानमंत्री के खिलाफ भी इतना कुछ कहा गया जो कि इतने बड़े व गौरवमयी पद पर बैठे व्यक्ति के लिए कहा नहीं जाना चाहिए। यह उचित समय है जब नियमों का उल्लंघन करने वाली पार्टियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और चुनाव आयोग जैसी प्रतिष्ठित संस्था का गौरव बरकरार रखा जाना चाहिए। गालियों, चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन और गौरवमयी संस्थाओं का अवमूल्यन होने के कारण गुजरात का इस बार का चुनाव सबसे गंदा कहा जाएगा।

बस स्टैंड

पहला यात्री ः मोदी की गुजरात में तीन बड़ी उपलब्धियां क्या हैं।

दूसरा यात्री ः उन्होंने केजरीवाल को चुप कराया, मनमोहन सिंह को बोलने के लिए विवश किया और राहुल गांधी को जनेऊ पहन कर मंदिरों में जाने के लिए विवश किया।

ई-मेल ः singhnk7@gmail.com


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