गुरु होने का उद्देश्य और लाभ

By: Dec 9th, 2017 12:05 am

श्रीश्री रवि शंकर

आध्यात्मिक पथ पर तीन कारक होते हैं बुद्ध, सद्गुरु या ब्रह्मज्ञानी संघ, संप्रदाय या समुदाय और धर्म, आपकी प्रकृति, आपका सच्चा स्वभाव। तुम बुद्ध के जितना निकट जाओगे, तुम्हें उतना ही अधिक आकर्षण मिलेगा, तुम ब्रह्मज्ञानी से कभी ऊबते नहीं। तुम जितना समीप जाओगे तुम्हें उतनी ही अधिक नवीनता और प्रेम का अनुभव मिलता है। एक अथाह गहराई की तरह है। गुरु एक द्वार है और द्वार में दुनिया से अधिक आकर्षक होने की आवश्यकता है ताकि लोग द्वार तक आएं। बाहर बारिश और बिजली कड़क रही है या चिलचिलाती धूप है और कोई सड़क पर है, उन्हें आश्रय की जरूरत है। वे अपने चारों ओर ढूंढते हैं, उन्हें एक द्वार दिखता है। द्वार अपनी और आमंत्रित कर रहा है, वह दुनिया की किसी भी चीज से अधिक आकर्षक व आनंद और हर्षोल्लास से परिपूर्ण दिखता है। इतनी शांति, इतना आनंद और सुख दुनिया में कुछ भी और नहीं दे सकता है। द्वार तक आने पर आप दरवाजे के अंदर प्रवेश कर जाते हो और गुरु की आंखों से दुनिया को देखते हो। यह एक संकेत है कि आप गुरु के पास पहुंच गए हो। आप सड़क पर खड़े हुए अभी तक द्वार को देखते रह सकते हो। एक बार आपने द्वार से अंदर प्रवेश कर लिया, तो आप गुरु की आंखों से सारी दुनिया को देखोगे। इसका क्या अर्थ है। हर स्थिति का सामना करते हुए तुम सोचोगे कि यह स्थिति यदि गुरुजी के सामने आती, तो वह उसको कैसे संभालते। यह जटिल परिस्थिति यदि गुरुजी के सामने आती तो वह उसे किस प्रकार से लेते। अगर कोई गुरुजी को यह दोष लगाता, तो वह उसको कैसे संभालते। हर समय गुरु की आंखों से दुनिया को देखो, तो दुनिया और अधिक सुंदर लगती है, वह प्रेम, आनंद, परस्पर सहयोग, दया और सभी सद्गुणों से भरी हुई जगह है। दुनिया में और अधिक आनंद है। द्वार के माध्यम से देखने से कोई डर नहीं लगता है, क्योंकि वहां शरण है। अपने घर के अंदर से तुम कड़कती बिजली, तूफान और बारिश को देख सकते हो। तुम आराम से तपते सूरज को देख सकते हो क्योंकि अंदर वातानुकूलन है। वह ठंडा और बहुत ही सुखद है। बाहर बहुत गर्मी है। तुम्हें बुरा नहीं लगता है क्योंकि वहां ऐसा कुछ भी नहीं है जो कि वास्तव में तुम्हें विचलित कर पाए, परेशान करे या तुम्हें अतृप्त करे। ऐसी सुरक्षा की भावना, ऐसे परिपूर्णता और आनंद की भावना का आविर्भाव होता है। यही गुरु के होने का उद्देश्य है। अपने घर के अंदर आपको वह सारी सुख-सुविधाएं महसूस होती हैं, जो बाहर की दुनिया में आपको नहीं मिलती। ऐसे ही गुरु वह प्रवेश द्वार है, जिसके समीप जाकर  आपको उस ठंडक का एहसास होता है जिसकी आपको जरूरत है। गुरु उस रोशनी के समान है जो हमें अंधेरे में प्रकाश दिखाता है। जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी सफलता के मार्ग पर चलने का दृढ़ विश्वास हमें गुरु ही सिखाता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App