गेफांग को माना जाता है लाहुल का मुख्य देवता

By: Dec 6th, 2017 12:05 am

हाल ही में शिखर पर एक मंदिर का निर्माण किया गया है, जो लाहुल के मुख्य देवता भगवान गेफांग को समर्पित है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि हर वाहन जो कुंजम दर्रा से गुजरता है, उसे ईश्वर से आशीर्वाद लेने के लिए परिक्रमा करनी पड़ेगी…

कुंजम दर्रा

कुंजम दर्रा महान कुंजम श्रेणी में से लाहुल घाटी को मार्ग उपलब्ध करवाता है। उन्नत बड़ा शिगड़ी हिमनद अपने पूर्ण वैभव में सामने दिखाई देता है। दर्रे की चोटी (मुकुट) पत्थर के एक ढेर से चिन्हित की गई है जो वर्षों पहले यहां खड़ी की गई थी। हाल ही में शिखर पर एक मंदिर का निर्माण किया गया है, जो लाहुल के मुख्य देवता भगवान गेफांग को समर्पित है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि हर वाहन जो कुंजम दर्रा से गुजरता है, उसे ईश्वर से आशीर्वाद लेने के लिए परिक्रमा करनी पड़ेगी। भगवान के इस पत्थर के बिंब की एक और विशेषता यह है कि यदि भक्त भगवान को स्वीकार्य है तो कैश(सिक्के या नोट) के रूप में बिंब से चिपक जाएगी। कुछ लोगों का विश्वास है कि यह मंदिर देवी दुर्गा का है।

लिंगटी घाटी

यह स्पिति की सबसे बड़ी और लंबे किनारे वाली घाटी है। यह लिंगटी गांव से उत्तर-पूर्व की ओर अपने सिरे तक लगभग 60 किमी. तक जाती है। यह एक भूतत्व विषयक जीवंत संग्रहालय है। इसका भूतत्व विषयक इतिहास 2500 लाखा वर्ष पुराना है और इसके शेल(एक प्रकार का पत्थर) और जीवाश्म संपूर्ण जगत में विदित हैं। लिंगटी घाटी में ‘गया चोटी’ भी है। इसके शिखर पर स्पिति, लद्दाख और तिब्बत मिलते हैं।

की मॉनेस्ट्री

यह स्पिति के प्रभुत्व वाले ‘की’-गांव की सबसे  पुरानी तथा सबसे बड़ी मानेस्ट्री है। इस मठ में लगभग 300 लामा अपना धार्मिक प्रशिक्षण प्राप्त  कर रहे हैं। इसमें बुद्ध तथा अन्य देवी-देवताओं के दुर्लभ चित्र तथा धार्मिक ग्रंथ हैं। यह स्पिति की पश्चिमी जनसंख्या की सेवा कर रही है।

कोठी

यह जिला किन्नौर में है और इसे ‘कोष्टाम्पी’ कहा जाता है। यह कल्पा से थोड़ी नीचे है और किन्नर कैलाश इसके पृष्ठ में शोभायमान है। गांव में ‘श्वांग चंडिका’ का प्रसिद्ध मंदिर है। गांव का अपने आकर्षण मंदिर, प्रसन्नकारी, सरपत, हरे-भरे खेतों और फल्दार वृक्षों से कुल मिलाकर एक सुंदर परिदृष्य है।

मार्कंडा

यह बिलासपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। एक विश्वास के अनुसार एक सुरंग मार्कंडा और व्यास गुफाओं को जोड़ती है। व्यास और मार्कंडा ऋषि इस रास्ते से एक-दूसरे के पास आते-जाते थे। यहां एक प्राकृतिक पानी का चश्मा भी है, जहां विवाहित दंपति स्नान करते हैं।        —क्रमशः


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