डिबकेश्वर महादेव मंदिर

By: Dec 16th, 2017 12:07 am

हिमाचल प्रदेश में कई धार्मिक स्थल हैं, जोकि अलग-अलग कथाओं व चमत्कारों के लिए सुप्रसिद्ध हैं। उपमंडल नूरपुर के अंतर्गत सुल्याली में स्थित डिबकेश्वर महादेव का मंदिर इन्हीं में से एक है। यह मंदिर नूरपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पवित्र स्थल पर भगवान शिव की प्राकृतिक गुफा में अनेकों शिवलिंग विराजमान हैं। यह मंदिर लाखों भक्तों की आस्था व श्रद्धा का प्रतीक है। इस मंदिर से कई धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। कथा के अनुसार प्राचीनकाल में यहां शिवलिंगों पर दूध की धाराएं गिरती थीं, लेकिन एक बार किसी ने उस दूध की खीर बना ली, उसके बाद आज तक यहां दूध की धाराएं नहीं फूटीं। हालांकि अमृतरूपी पानी की धाराएं अब भी शिवलिंगों पर गिरकर भगवान शिव के चरणों को स्पर्श करती हुई यहां बनी झील में गिरती हैं। मान्यता है कि इस झील में डुबकी  लगाने से मनुष्य के जन्मों-जन्मों के पाप धुल जाते हैं। कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी के अंत में जब ग्वालियर राजा का अन्याय चरम पर था, तब वहां से तोमर वंश के कुछ लोग यहां अपने कुनबे के साथ सुरक्षित स्थान की तलाश में पहुंचे। यहां रात्रि विश्राम के दौरान उन्हें एक आकाशवाणी हुई कि भक्तो अब तुम मेरी शरण में हो और तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मेरा निवास आपके निकट गुफा में है। प्रातः जब उन्होंने गुफा देखी तो आश्चर्यचकित हो गए और प्रभु भक्ति में लग गए। इसके बाद यहां पर छोटा सा गांव सुखाली बसाया। सुखाली बाबा के नाम पर बाद में इसका नाम सुल्याली पड़ा। इस पावन डिबकेश्वर महादेव धाम से कई महापुराणों का नाम जुड़ा हुआ है, जिसमें बाबा राम गोपाल दास और खंगू बाबा को आज भी लोग बड़ी श्रद्धा से याद करते हैं। खंगू बाबा सन् 1946 में श्री डिबकेश्वर महादेव धाम में आए। यहां आने के बाद उन्होंने अन्न का एक भी दाना ग्रहण नहीं किया। वह केवल फलाहार व भांग का बना साग खाते थे। जहां तक कि बाबा यहां आने वाले भक्तों को भी भांग का प्रसाद देते थे और भक्तों को इसका बिलकुल भी नशा नहीं होता था, लेकिन अगर कोई प्रसाद को चुराकर खा लेता, तो इसका नशा कई दिनों तक नहीं उतरता। दूसरी तरफ इस डिबकेश्वर महादेव मंदिर की परिधि में आने वाले एक किलोमीटर क्षेत्र में बिच्छु या सांप सहित अन्य जहरीला जीव नहीं काटता है और अगर काट भी लेता है तो उसके जहर का असर नहीं होता है। इसके अतिरिक्त बंदर भी यहां नहीं आते हैं। कहा जाता है कि काफी समय पहले इस गांव में कोई बड़े महान साधु आकर ठहरे थे। यहां पर उनके द्वारा हवन किया गया और पूरे गांव के चारों तरफ उन्होंने रेखा खींच डाली थी। गांव के साथ लगते दूसरे इलाकों में बंदर काफी उत्पात मचाते हैं, लेकिन उसके बाद सुल्यली में यहां कभी भी बंदर नहीं आते हैं।

-सुनील दत्त, जवाली 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App