पहाड़ में फिर बही बदलाव की बयार

By: Dec 19th, 2017 12:05 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

हिमाचल में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है। उम्मीद है कि सरकार के मुखिया का चयन होने के बाद नई सरकार प्रदेश के लोगों की विकास के प्रति चाहत को परवान चढ़ाने के लिए कार्य करेगी। इन चुनावों को सत्ता विरोधी रुझान माना जाए अथवा मोदी लहर, लेकिन अंततः मतदाताओं ने बदलाव के पक्ष में मुहर लगाई है…

हिमाचल प्रदेश की 13वीं विधानसभा की 68 सीटों के लिए नौ नबंवर, 2017 को हुए चुनावों के परिणाम 39 दिनों के लंबे इंतजार के बाद अंततः सामने आ गए हैं। हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। 1985 से राज्य के वोटर हर बार विधानसभा चुनावों में सरकारें बदलते आ रहे हैं और इस बार भी यह परंपरा कायम रही है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इन चुनावों में मिली जीत का श्रेय पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व एवं उनकी विकास को समर्पित नीतियों को दिया है। हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के लिए भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है। उम्मीद है कि सरकार के मुखिया का चयन होने के बाद नई सरकार हिमाचल प्रदेश के लोगों की विकास के प्रति चाहत को परवान चढ़ाने के लिए कार्य करेगी। इन चुनावों को सत्ता विरोधी रुझान माना जाए अथवा मोदी लहर, लेकिन अंततोगत्वा मतदाताओं ने बदलाव के पक्ष में मुहर लगाई है। चुनाव आयोग ने कुशल प्रबंधन के अंतर्गत चुनावों का संचालन किया। दोनों प्रमुख दलों ने कुल नौ महिला उम्मीदवारों को भी चुनावी रण में उतारा था। इनमें भाजपा ने छह तो कांग्रेस ने तीन महिलाओं को पार्टी टिकट दिया था। हिमाचल प्रदेश के कुल 50 लाख 26 वोटरों में महिला वोटरों की संख्या 24 लाख 57 हजार है। इस लिहाज से देखा जाए, तो प्रदेश विधानसभा में अभी महिला प्रतिनिधित्व बेहद मामूली ही माना जाएगा। यद्यपि प्रदेश के पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी 50 फीसदी की जा चुकी है तथापि आने वाले समय महिला प्रतिनिधित्व की मांग जोर पकड़ेगी। फिर भी भाजपा से सरवीण चौधरी, रीता देवी और कमलेश कुमारी ने तो कांग्रेस से आशा कुमारी ने अपनी जीत दर्ज की है। हिमाचल प्रदेश के इस बार के चुनावों में दोनों प्रमुख दलों ने अपने-अपने दिग्गज नेताओं को चुनावी समर में उतारा था, लेकिन 39 दिनों तक मतदाताओं की खामोशी के बाद जो नतीजे सामने आए हैं, वे कई मायनों में चौंकाने वाले हैं। सर्वाधिक हैरान करने वाला परिणाम हमीरपुर जिला की सुजानपुर सीट पर देखने को मिला। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली।

जोगिंद्रनगर विधानसभा सीट से धूमल के समधी और पूर्व मंत्री गुलाब सिंह को पहली बार चुनाव लड़ रहे करोड़पति निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश राणा द्वारा करीब नौ हजार वोटों के भारी अंतर से हराना यह बयां करने के लिए काफी है कि आज वोटरों की आशाएं-अपेक्षाएं काफी बढ़ गईं। देहरा सीट से पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह रवि की वहां के समाजसेवी निर्दलीय  उम्मीदवार होशियार सिंह के हाथों तीन हजार 914  के अंतर से पराजय भी उल्लेखनीय है। भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष सतपाल सत्ती का कांग्रेसी उम्मीदवार सतपाल रायजादा के द्वारा तीन हजार 196 वोटों से पराजित होना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी प्रकार दूसरी तरफ कांग्रेस के दिग्गजों में धर्मशाला से शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा का भाजपा प्रत्याशी किशन कपूर के हाथों दो हजार 997 वोटों से पराजित होना कहीं न कहीं निर्दलियों द्वारा कुल सात हजार 385 वोटों को झटक कर ले जाना और नोटा पर 525 वोटरों द्वारा भरोसा जताना भी एक बड़ी वजह माना जा सकता है। हालांकि धर्मशाला का विकास नगर निगम की स्थापना और धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने की घोषणाएं भी संभवतः मतदाताओं को रिझा नहीं पाई। कांग्रेस के एक अन्य कद्दावर उम्मीदवार मंडी जिला के द्रंग विधानसभा सीट से उम्मीदवार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं मंत्री कौल सिंह को भाजपा प्रत्याशी जवाहर ठाकुर ने पांच हजार 431 वोटों के अंतर से शिकस्त दी है। इस बार सोलन सीट पर चुनावी जंग काफी रोचक रही। भाजपा ने इस सीट पर मंत्री डा. धनीराम शांडिल के मुकाबले उनके दामाद राजेश कश्यप को मैदान में उतारा था। मुकाबले में डा. धनीराम 671 वोटों के मामूली अंतर से बाजी मार गए। कांग्रेस के सातवीं बार मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और शिमला ग्रामीण से उनके पुत्र विक्रमादित्य की जीत जरूर कांग्रेस पार्टी के लिए राहत की बात हो सकती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो वर्तमान समय में वोटरों की अपेक्षाएं विकास को लेकर उनकी उम्मीदें, भ्रष्टाचार, सुशासन एवं बेरोजगारी आदि जैसे मुद्दों पर जनता राजनेताओं से दूरदृष्टि वाले रवैये की अपेक्षा रखती है, वहीं आज का जागरूक वोटर यह भी चाहता है कि उससे झूठे वादे न किए जाएं, स्वच्छ छवि वाले लोगों को आगे लाया जाए, युवाओं-महिलाओं की भागीदारी बढ़े। इसके साथ ही नेताओं के लिए भी कड़ा संदेश है कि वे अपने साथ जमीनी कार्यकर्ताओं स्थानीय वर्कर्ज, पढ़े-लिखे लोगों को तवज्जो दें। अब सत्ता में आकर आप मतदाताओं को डराना, धमकाना, गलत भाषा का इस्तेमाल करना, उनका अपमान-तिरस्कार करना और उनकी उपेक्षा कर लंबे समय तक राजनीति नहीं कर सकते हैं। आज सामान्य नागरिक सुकून-चैन की जिंदगी बसर करने के लिए कानून का शासन हो, इसकी भी उम्मीद रखता है। आशा है नई सरकार हिमाचली जनाकांक्षाओं पर खरा उतरेगी।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय, ई-मेल आईडी तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

-संपादक

 


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