प्रथम चरण में बना महान हिमालय

By: Dec 6th, 2017 12:05 am

प्रथम चरण में महान हिमालय तथा द्वितीय में लघु हिमालय का निर्माण हुआ, जिससे शिवालिक श्रेणियां तृतीय चरण में उभरीं। चौथे चरण में इन सभी श्रेणियों का पुनरुत्थान हुआ, जिससे शिवालिक श्रेणियां ऊंची हुईं…

गतांक से आगे…

संकुचन उत्पन्न करने वाली शक्ति किधर उद्भूत हुई, इस बारे में पर्याप्त मतभेद हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह शक्ति अंगारालैंड के दक्षिण की ओर खिसकने से निःसृत हुई, जिसके चलते टिथिस में निक्षेपित अवसाद स्थिर गोंडवानालेंड के प्रतिरोध से वलित हुए। परंतु दूसरे अधिकतर विद्वानों के मान्य मतानुसार गोंडवानालैंड उत्तर की ओर सरक कर टिथिस में निक्षेपित विशाल अवसाद में जा ध्ांसा, जिससे अवसाद उत्थित एवं वलित हुआ।

 परंतु हिमालय के उत्थान की यह प्रक्रिया एक बार संपन्न नहीं हुई। प्रथम बलन क्रिटेशियस युग के अंत में हुआ। तत्पश्चात क्रमशः इयोसिन प्लयोसिन तथा प्लेइस्टे शियन युगों में भी वलन हुए। प्रथम चरण में महान हिमालय तथा द्वितीय में लघु हिमालय का निर्माण हुआ, जिससे शिवालिक श्रेणियां तृतीय चरण में उभरी। चौथे चरण में इन सभी श्रेणियों का पुनरूत्थान हुआ, जिससे शिवालिक श्रेणियां ऊंची हुईं और साथ ही एक अप्रगर्त का निर्माण हुआ, जिससे अवसाद पटने से सिंधु गंगा बेसिन का निमार्ण हुआ। प्लेइस्टोशियन के पश्चात हल्के उत्थान हुए हैं और बीच बीच में हिमानियों द्वारा विविध पदार्थों का निक्षेपण एवं नदियों के किनारे वेदिकाओं का निर्माण हुआ। हिमाचल प्रदेश ऐसे ही हिमालय  पर्वत की गोद में स्थित है, जो पर्वत श्रेणियों में विश्व  भर में सबसे कम आयु का है। दस करोड़ वर्ष पहले जब भारत एशिया की ओर सरक रहा था, तब उत्तर की ओर टेथस सागर में ज्वालामुखी टापुओं की एक शृंखला बन गई थी।                                          -क्रमशः


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