फिर मैदान हाजिर है

By: Dec 9th, 2017 12:05 am

क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय खुमारी के बीच पुनः हिमाचल अपनी गांठें खोलकर, भारत-श्रीलंका वनडे का इंतजार कर रहा है। धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम के लिए कोई भी मैच मन्नत की तरह है, क्योंकि राष्ट्रीय खेल की यह दौलत किसी चमत्कार से कम नहीं। जाहिर है क्रिकेट का मक्का ढूंढने निकली वसंत जब कभी हिमाचल पर मेहरबान होती है, तो पहाड़ पर चमकती धूप भी आईना बन जाती है। देश के लिए एक स्टेडियम अपने हाथों में तिरंगा थामता है, तो पर्वतीय प्रदेश की शान में इजाफा होता है। यह दीगर है कि मैच की मिट्टी के ठीक नीचे कहीं सियासी कीलें खड़ी हैं, फिर भी स्टेडियम की गरिमा चोटिल न होने की मशक्कत में इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ मैदानों में एक कर देती है। मैच के बिना भी स्टेडियम में सैलानियों को देखने की वजह मिलती है, तो राज्य की उपलब्धियों की आंख में सुरमा भरते हुए आश्चर्य की दीर्घा उपस्थित हो जाती है। क्रिकेट के मनोरंजन का हिमाचली सफर यहां पुनः तसदीक होगा, जब श्रीलंका के खिलाफ खेल का भारतीय जुनून हाजिरी भरेगा। आचार संहिता के सन्नाटे को तोड़ने का एक अद्भुत मंजर प्रतीक्षारत है, तो इस दौर की हिफाजत में प्रशासनिक तैयारियां पुनः चुस्ती दिखा रही हैं। जिस प्रदेश में पुराने पुल और संकरे बाजार में भीड़ का आलम सारी व्यवस्था की पोल खोल देता है, वहां क्रिकेट स्टेडियम में आने वाले करीब पच्चीस हजार दर्शकों का प्रबंधन प्रदेश की प्रशासनिक दक्षता में दर्ज होता है। महाआयोजनों के हिमाचली संदर्भों में सड़क परिवहन और विमान सेवाओं की पड़ताल होना भी स्वाभाविक है। ऐसे में एक अंतरराष्ट्रीय मैच के मायने पर्यटन व्यवसाय की खुशहाली का सबब बन सकते हैं, बशर्ते समूचा राज्य अपनी खूबियों में पर्यटन अधोसंरचना को मुकम्मल करे। इस दृष्टि से प्रदेश की सड़कों के संबंध में हो रही घोषणाओं का कार्यान्वयन इस तरह हो कि हर सफर, पर्यटक की सुखद अनुभूति की मंजिल तक पहुंचे। खेल पर्यटन की अवधारणा में क्रिकेट के अब तक के मैच, हिमाचल के गले में पुष्पमाला पहनाते रहे हैं, लेकिन जमीन पर कांटे बिखरे हैं। कांगड़ा एयरपोर्ट विस्तार परियोजना की फाइल पर अड़चनें सवार रहेंगी, तो कौन विमान सेवा के नाम पर अति महंगे सफर का सारथी बनना चाहेगा। कुल्लू से चंडीगढ़ की फ्लाइट रुक जाए या शिमला से दिल्ली की सस्ती टिकटों की उड़ान सिमट जाए, तो हमारे हिस्से का पर्यटन कहीं अन्यत्र चला जाएगा। यह दीगर है कि हिमाचल ने आंकड़ों के हिसाब से सैलानियों का रुख मोड़ा है, लेकिन इन उपलब्धियों में आर्थिकी का सैलाब दिखाई नहीं दिया तो पर्यटन की नस्ल बदलनी होगी। हाई एंड टूरिस्ट के लिहाज से हिमाचल का वर्तमान ढांचा सुदृढ़ करना होगा और इस लिहाज से प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने अपने स्तर पर ही एक बड़े होटल का निर्माण करके जो पहल की, उसकी वजह से धर्मशाला में एक साथ करीब आधा दर्जन पंच सितारा नए होटल विकसित हो रहे हैं। खेल पर्यटन में क्रिकेट की देन की तरह ही पैराग्लाइडिंग ने भी अपनी प्रतिस्पर्धाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सजाया है। इसी तरह साहसिक खेलों की क्षमता में हिमाचल अब युवा पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है। टै्रकिंग के निजी अभियान में शरीक होते युवाओं ने हिमाचल की कई पहाडि़यों को गंतव्य बना दिया है, तो पर्वतीय आबोहवा में भारतीय खेल प्राधिकरण के छात्रावास, राष्ट्रीय उपलब्धियों के आश्वासन की तरह मेहनत कर रहे हैं। कुल मिलाकर खेल आयोजनों व खेल अधोसंरचना के नए प्रारूप में जो स्थान धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम ने अर्जित किया है, उसी तरह कटासनी व राज्य के अन्य स्थलों पर विभिन्न खेलों  के लिए प्रयास करने होंगे। बहरहाल खेल रौनक का मजमून बना धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम पुनः खेल के रिकार्ड में देश के लिए अपना जज्बा बिखेर रहा है।


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