फिर सोच ले एनजीटी…फैसला गलत है

By: Dec 2nd, 2017 12:05 am

एनजीटी का निर्णय अव्यावहारिक है। एनजीटी के फैसले से प्रदेश में जनता की नींद और चैन उड़ गया है। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर जनता पर ऐसा निर्णय थोपा गया है, जो प्रदेश के विकास को पूरी तरह ठप कर देगा। इस निर्णय के चलते मैट्रो सिटी जैसे हाल को जाएंगे। जनता को फुटपाथ पर सोना पड़ेगा। ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया गु्रप द्वारा शिमला में लोगों से एनजीटी के निर्णय पर बातचीत की गई। जनता का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर एनजीटी ने ऐसा निर्णय लिया है जिससे पूरे प्रदेश के लोग परेशान हैं। इस निर्णय के बाद प्रदेश में विकास की रफ्तार थम जाएगी।

जंगल बचेंगे पर…नहीं बच पाएंगे लोग

शिमला के सुभाष वर्मा का कहना है कि एनजीटी की ढाई मंजिल का निर्णय अव्यावहारिक है। इस निर्णय के बाद शिमला में जंगल तो होगा मगर लोग नहीं मिलेंगे। राजधानी में कर्मचारी और छात्र काफी तादात में रहते हैं। ढाई मंजिलों की शर्त के बाद शिमला में भी लोगों को फुटपाथ में सोना पड़ेगा।

कौन भर पाएगा इतनी भारी भरकम फीस

रवि कुमार दलित का कहना है कि एनजीटी ने मनमाना निर्णय थोपा है। इस निर्णय के तहत भवनों को रेगुलर के लिए भारी भरकम फीस रखी गई है। ऐसे में जिन लोगों ने लाखों रूपए खर्च कर मकान बनाए हैं, उन्हें मजबूरन आत्महत्या करनी होगी। सरकार को इस निर्णय के खिलाफ अपील करनी चाहिए।

ढाई मंजिल का ही फैसला गलत है

ओम प्रकाश शर्मा का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण जरूरी है, मगर पर्यावरण संरक्षण के नाम पर ढाई मंजिल का निर्णय गलत है। इसके लिए बेहतर होता कि प्रदेश में नए पौधे लगाने के लिए प्रयास किए जाते। जनता पर इस तरह के निर्णय थोपकर प्रताडि़त करना गलत है।


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