बल्लेबाजी के ‘विराट’

By: Dec 5th, 2017 12:05 am

कलात्मक बल्लेबाज रहे वीवीएस लक्ष्मण अकसर टिप्प्णी करते हैं कि विराट कोहली पसीना भी सूखने नहीं देते हैं और अगला शतक ठोंक देते हैं। वह शतक-दर-शतक मार रहे हैं। क्रिकेट के टेस्ट और एकदिनी मैचों में अभी तक विराट 52 शतक बना चुके हैं। कीर्तिमान की अंतिम मंजिल 100 शतकों की है, जो सचिन तेंदुलकर के नाम दर्ज है, लेकिन उसी राह पर विराट बेहद तेजी से दौड़ रहे हैं। अभी तक विराट कई मायनों में क्रिकेट के पितामह डॉन ब्रेडमैन, क्रिकेट के भगवान माने गए,‘भारत-रत्न’ सचिन तेंदुलकर, वेस्टइंडीज के पूर्व आतिशी बल्लेबाज ब्रायन लारा, दक्षिण अफ्रीका के निरंतरता वाले बल्लेबाज हाशिम अमला आदि से भी आगे निकल गए हैं। हालांकि ब्रेडमैन ने अपने करियर में 12 दोहरे शतक मारे थे, लेकिन बतौर कप्तान वह चार ही दोहरे शतक बना पाए थे। उस लिहाज से भारतीय कप्तान विराट कोहली छह दोहरे शतकों के साथ इन सभी दिग्गजों से आगे निकल गए हैं। लगातार दो पारियों में दो दोहरे शतक ठोंकने की उपलब्धि भी उनके नाम दर्ज हो गई है। हालांकि इंग्लैंड के वॉली हैमंड (1928, 1933), आस्टे्रलिया के ब्रेडमैन (1934), भारत के विनोद कांबली (1993), श्रीलंका के कुमार संगकारा (2007), आस्टे्रलिया के ही माइकल क्लार्क (2012) भी बल्लेबाजी की इस संभ्रांत जमात में शामिल हैं। बतौर कप्तान अब दोहरे शतकों का ‘विश्व रिकार्ड’ विराट के नाम ही है। उम्मीद करनी चाहिए कि यदि उनके खेल का यही ‘फॉर्म’ और ‘रनों की भूख’ जारी रही, तो वह ब्रेडमैन के सर्वाधिक 12 दोहरे शतकों के आंकड़े को भी पार कर सकते हैं। भई क्या कमाल का खिलाड़ी है…लगता है उसके भीतर सहवाग की आत्मा प्रवेश कर गई है…क्या कलाई का उपयोग कर और बेहद तेज गति से रन बटोरते हैं। 499 दिनों के अंतराल में ही 6 दोहरे शतक, जबकि ब्रेडमैन ने 1459 दिनों में पहले छह दोहरे शतक लगाए थे। सबसे तेज 5000 रन और 16,000 से भी ज्यादा रन बनाने वाला दुनिया का प्रथम बल्लेबाज। सचमुच एक बल्लेबाज के तौर पर भारतीय कप्तान ‘विराट’ हैं। विराट की बल्लेबाजी में विविधता है। रन बनाने के लिए उनके पास तीन-चार विकल्प रहते हैं। वह गेंद सरका कर भी रन बटोर सकते हैं, तो चौके लगाकर भी रन हासिल कर सकते हैं। विराट छक्कों के मामले में ‘विराट’ नहीं हैं, लेकिन ‘फिसड्डी’ भी नहीं हैं। उन्हें एकदिनी क्रिकेट में ‘चेज का बादशाह’ माना जाता है। क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में उनका खेल एक जैसा रहा है। विराट किसी ‘ध्यानस्थ’ योगी, साधु-संत की तरह बल्लेबाजी करते हैं। उनमें एकाग्रता गजब की है। इसी टेस्ट मैच में श्रीलंका के खिलाड़ी प्रदूषण का प्रपंच नहीं रचते, तो विराट अपना तिहरा शतक भी लगा सकते थे। जब उन्होंने धरती पर बल्ला फेंका और भारतीय पारी को घोषित किया, तो उनकी मनःस्थिति को समझा जा सकता था। वह विराट का गुस्सा या कुंठा नहीं थी। सवाल था कि जब वह खुद दो दिन से लगातार बल्लेबाजी कर रहे थे, तो क्या प्रदूषण उन्हें प्रभावित नहीं कर रहा था? मैच कमेंट्री कर रहे लक्ष्मण और सहवाग बिंदु-दर-बिंदु व्याख्या कर रहे थे कि विराट अपने तिहरे शतक तक कैसे पहुंच सकते हैं। बहरहाल विराट के रूप में टीम इंडिया को ऐसा खिलाड़ी और कप्तान मिला है, जो लंबे अंतराल तक टीम को ‘नंबर वन’ बनाए हुए है। टीम में कई बल्लेबाजों का हुनर निखर कर सामने आया है। चूंकि अब अगला दौरा दक्षिण अफ्रीका का है, लिहाजा यही हुनर और फॉर्म उनके काम आएगा। इस ‘विराट’ बल्लेबाज के सामने एकमात्र ‘विराट’ सवाल और लक्ष्य है कि क्या वह सचिन का रिकार्ड तोड़ पाएंगे? अपनी रिटायरमेंट के दौर में एक सवाल पर सचिन ने जवाब दिया था कि उनके रिकार्ड तोड़ने में पहला नाम विराट का है। अब वह लम्हा करीब सरकता जा रहा है। सचिन के शतकों की तुलना में विराट के शतकों की गति तेज है। लेकिन महत्त्वपूर्ण सवाल यह भी है कि विराट कितना फिट रह पाते हैं और कब तक यूं ही बल्लेबाजी करते रहते हैं? बहरहाल यह क्रिकेट इंडिया का स्वर्णिम दौर है, लिहाजा उम्मीद करनी चाहिए कि सब कुछ अपेक्षाओं के अनुसार होगा।


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